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तिलक के रूप, महिमा और प्रभाव

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झरोखा: पंकज पटेरिया: भारतीय संस्कृति में माथे पर तिलक लगाने की आदिकालीन परंपरा है, जो द्वापर त्रेता युग से चली आ रही है। तिलक के रूप, प्रकार, और प्रभाव अनंत है। तिलक भीं विभिन्न वस्तुओं के लगाए जाते है। यथा भस्म तिलक, चंदन, गोरों चन अष्टगंध आदि से लगाए गए तिलक देवी देवता, ईस्ट के मध्य का आंतरिक संबंध सूचक या आईडेन टीटी होते है। जैसे शिव भक्त त्रिपुंड लगाना पसंद करते श्री राम का माथे पर तीन रेखाओं बाला राम नामी तिलक होता, श्रीकृष्ण भक्त ललाट पर भोहों से सीधे ऊपर तक दो खड़ी रेखाओं का तिलक लगाना पसंद करते। शक्ति के उपासक दो नो भोहो के मध्य गोल बिंदी रूप में रोली का अथवा लाल चंदन का तिलक लगाते है। तिलक केवल ललाट की शोभा मात्र नही, अपितु इसकी महिमा प्रभाव असीम है, इसका धर्म आध्यात्मिक महत्व ही नही ज्योतिष शास्त्र में भी विभिन्न अशुभ ग्रहों की शांति शुभत्व बड़ा ने भी बड़ी भूमिका होती है
(अशुभ ग्रहो की शांति के लिए) सूर्य के लिए लाला चंदन, चंद्रमा के लिए सफेद चंदन मंगल के लिए सिदुरी बुध के लिए मलयाली गुरु के लिए केशर या पीला शुक्र के लिए रोली अक्षत, शनि राहु-केतु के लिए भस्म से त्रिपुंड लगाने से अशुभ ग्रहों का असर खत्म होने लगता है। शुभ प्रभाव बड़ने लगता है। ग्रहों की अंगुलियां भी जैसे रत्नों के लिए निर्धारित है, वैसे ही तर्जनी से लेकर कनिष्ठा तक बताई गई है। सीधे स्वयं को तिलक नही लगाया जाता पहले देवी देवता को फिर बचा हुआ अपने अनामिका अंगुली से लगाए दूसरे को अंगूठे से लगाए जाता है। शरीर के विभिन्न अंगो पर तिलक लगाने की धार्मिक परंपरा है। दोनो भोहों के बीच आज्ञा चक्र होता है यहां तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जाग्रत होता, सोया भाग्य जागता है।
तिलक से व्यक्तिव का आकर्षण ही नही बढ़ता, बल्कि नकारात्मक ता खत्म होती, वैचारिक शुद्धता आती और बड़ती सकारात्मक ऊर्जा इनमे भस्म तिलक की महिमा अदभुत है, क्योंकि यह सूक्ष्म रूप है। ज्ञात है सूक्ष्मता का स्थूलता से ज्यादा मोल महत्व होता है। सोने चांदी, हीरे, मोती के स्थुल रूप से ज्यादा कीमत इनकी भस्म की यानी सूक्ष्म रूप की होती है। लिहाजा भस्म या विभूति तिलक का प्रभाव स्वयं सिद्ध है। नागा साधु तो पूरे शरीर पर भस्म का लेपन करते है। नगाओं का तो वस्त्र ही भस्म होती है। इसे शरीर पर लगाने पर ऐसा रक्षा कवच कुंडल चड जाता है कि न तो मौसम का प्रभाव अनुभव होता ओर न कोई वायरल वेक्टेरिया का असर होता। भस्म चिकित्सा का भी बड़ामहत्व बताया गया है। भस्म तिलकसभी लोग लगा सकते है। शिवपुराण केश्लोक२१में बताया गया है स्त्रियां भी विभूति भस्म धारण कर सकती है। माथे पर लगाने से आज्ञा चक्र गले में लगाने से विशुद्ध चक्र और छाती पर हृदय पर लगाने से अनाहुत चक्र जाग्रत होता है। शरीर मे ऊर्जा केसात केंद्र बताए गए है, सभी का बड़ा महत्व है। सब से अहम बात यह है कि बिना तिलक लगाए कोई भी पूजा पाठ कर्म काण्ड अनुष्ठान सम्पन्न नही होते है। एक तरह से यह परम सत्ता कापरमिशन कार्ड है जो आपकी पात्रता सुनिश्चित करता है। ग्रंथो में यह भी उल्लेख है तिलक से मुख मंडल पर निरंतर तेजस्वी आभा रहती है, फलस्वरूप बुरी नजर, मारण, मोहन उच्चाटन, सम्मोहन आदि आला ये बलाए पास नही भटकती तिलक धारी ईश्वर भक्त सदेव एक शक्ति शाली सुरक्षा घेरे मे रहता है। तिलक से परम सत्ता से जीवंत संपर्क बना रहता ओर दिव्य स्मृति ज्योतिसदा प्रज्वलित रहती है। अस्तु।

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पंकज पटेरिया, संपादक शब्द ध्वज
वरिष्ठ पत्रकार कवि, ज्योतिष सलाहकार
9340244352,9491505691

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