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झरोखा: अनलॉक में जरूरी लॉकडाउन, खुली रहे आंख, कान, मुंह पर रहे ताला

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पंकज पटेरिया। अंततः देश दुनिया में असंख्य जिंदगियों की बलि चढ़ जाने के बाद कोरोना की रफ्तार थम रही है, तो यह सर्वथा ईश्वर की कृपा है। आर्तजनों की करुण पुकार का परिणाम है। तो शासन प्रशासन के इंतजाम, अनगनित लोगो को भी श्रेय है, जिन्होंने रातों की नींद, सुख,चैन और बीवी बच्चो को छोड़ अपनी जान की परवाह न कर पीड़ित मानवता की सेवा में मे खुद को झोंक दिया। गृहमंत्री द्वारा जारी एडवाइजरी के तहत कलेक्टर फैसला लेंगे। और दी जाएगी गाइड लाइन। यही वह टार्च है जिसकी रोशनी मे हमे चलना है।बचना है मनमानी से। अनलाक होते ही लोटेगी चहल पहल बाजारों में। उदास चेहरे हाट, बाट, घाट के गुलजार होंगे। मंदिरो, मस्जिदों , चर्च,गुरुदारो से आयेगी आरती अजानो,अरदास की सूखकर मनहर सदाये जिनसे भीग हम अलौकिक अनभूति नई ऊर्जा, उत्साह, उमंग से फिर स्फूर्त हो उठते है। पटरी पर गाड़ी के लोटने से,कभी कभी अति उत्साह में बेपरवाही सिर उठाने लगती है, लापहरवाही के लंगूर उछल कूद करने लगते, और कुछ नही होता यार पत्थर आसमान मे सुराख करने की दम से बरसाने लगते है। इसी बेवकूफी की वजह से फिर गर्जने लगते संकट के बादल और घिरने लगता है देश प्रदेश समाज आपदा महामारी जैसे हालातो से। लिहाजा इन प्रवृत्तियों पर रखे लॉक डाउन बरकरार, ओर लॉक करदे हमेशा को नेगेटिव थिकिंग को। यही तो सोख लेती है उत्साह ,उमंग उल्लास,जिजीविषा,जो आसमान के तारे सितारे जमीन बिछाने की ताकत जोश,जुनून देती।इससे मुरझाने लगते मन, और गिरने लगती सेहत। विज्ञानी भी इस सत्य स्वीकारते है, कि किसी भी आपदा संकट बीमारी के दौर मे शरीर के साथ मन भी बीमार होता है।शरीर तो येन केन स्वस्थ हो जाता है,लेकिन अस्वस्थ मन को कोन देखे शिराओ में बहता अकेलापन निराशा,इस समय मन की गिरती सेहत को सम्हालना बहुत जरूरी होता है। तब बहुत मायना,रखती है,व्यवहार में,प्यारस्नेह हमदर्दी,जिससे पुनः ओस नहाये भोर गुलाब से ताज़ातरीन खिल उठता मन और चहचहा उठता मनोजगत। अच्छी मोहक मीठी बाते,गीत संगीत प्रेरक किस्से इस समय बहुत पुरअसर काम करते है। मैंने कई अस्पतालों में धीमी मधुर गीत संगीत की बहती स्वर लहरियों से गंभीर डूबे मरीजों को स्वस्थ होते देखा है। लिहाजा अनलॉक होते हम लोगो को सकारात्मकता की इसी सोच और सौरभ को बांटना चाहिए और किसी भी तरह की नकारात्मक सोच को हमेशा हमेशा के लिए लाक कर देना चाहिए। सर्वहिताय,सर्व सुखाए हमारा आदि मंत्र है। यही ईश्वर की आराधना स्तुति आरती, प्रार्थना, अरदास है।

pankaj pateriya

पंकज पटेरिया, संपादक: शब्द ध्वज
वरिष्ठ पत्रकार/ कवि,
9893903003, 9407505691

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