- अखिलेश शुक्ल

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अजय देवगन के पिता और स्टंट डायरेक्टर वीरू देवगन की जिंदगी एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी है जो संघर्ष, हिम्मत और जुनून से भरी हुई है। वीरू देवगन न सिर्फ़ फिल्मों में, बल्कि असल ज़िंदगी में भी एक दबंग इंसान थे। उनकी ज़िंदगी का एक किस्सा खासा मशहूर है, जब एक लड़ाई उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में ले आई। आज हम आपको उनके जीवन के संघर्षों और सफलता की कहानी बता रहे हैं।
मुंबई आने का सफर: 13 साल का बच्चा और बड़े सपने
वीरू देवगन का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनके सपने बहुत बड़े थे। मात्र 13 साल की उम्र में, वे फिल्म इंडस्ट्री में काम करने का सपना लेकर घर से भागकर मुंबई आ गए। उस समय उनके पास न तो पैसे थे, न ही कोई सहारा। ट्रेन में बिना टिकट सफर करने की वजह से उन्हें टीटी ने पकड़ लिया और पुलिस ने हवालात में डाल दिया।
मुंबई की सड़कों पर जब वे रिहा हुए, तो उनके सामने भूख और बेघर होने की चुनौती थी। एक टैक्सी ड्राइवर ने उन पर दया दिखाई और उन्हें अपनी कार साफ़ करने का काम दिया। बदले में, वीरू को रात में उसी कार में सोने की जगह मिलती थी। इस तरह, उनका संघर्ष भरा सफर शुरू हुआ।
गुंडों से लड़ाई और फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री
वीरू देवगन बचपन से ही बहादुर और मजबूत इरादों वाले व्यक्ति थे। मुंबई के उस दौर में जहां गुंडागर्दी आम बात थी, वीरू ने कभी डरने की बजाय सामना करना सीखा। एक दिन, कुछ मवालियों से उनकी तगड़ी लड़ाई हो गई। वीरू ने अकेले ही उन सभी को धूल चटा दी।
यह लड़ाई उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट बन गई, क्योंकि इसी दौरान एक्शन डायरेक्टर रवि खन्ना ने उन्हें लड़ते हुए देखा। लड़ाई खत्म होने के बाद, रवि खन्ना ने वीरू को बुलाया और कहा, “तू तो बहुत अच्छा लड़ता है, मेरे साथ काम करेगा?”
शुरू में वीरू को लगा कि रवि खन्ना कोई गैंगस्टर है, जो उन्हें अपनी गैंग में शामिल करना चाहते हैं। लेकिन बाद में पता चला कि वे फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर एक्शन डायरेक्टर हैं। यह ऑफर वीरू के लिए एक सुनहरा मौका था, क्योंकि वे फिल्मों में काम करने का सपना लेकर ही मुंबई आए थे।
स्टंट मैन से स्टंट डायरेक्टर तक का सफर
रवि खन्ना के साथ जुड़कर वीरू देवगन ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। शुरुआत में उन्होंने छोटे-मोटे स्टंट किए, लेकिन धीरे-धीरे उनकी मेहनत और हिम्मत ने उन्हें एक बेहतरीन स्टंट डायरेक्टर बना दिया। उन्होंने कई बड़ी फिल्मों में एक्शन सीन्स डायरेक्ट किए और बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
वीरू देवगन ने न सिर्फ़ हिंदी, बल्कि कई दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी काम किया। उनकी मेहनत और जुनून ने उन्हें इंडस्ट्री का एक सम्मानित नाम बना दिया।
अजय देवगन के लिए एक प्रेरणा
वीरू देवगन की मेहनत और संघर्ष की कहानी ने उनके बेटे अजय देवगन को भी प्रेरित किया। अजय देवगन ने कई बार अपने इंटरव्यूज़ में अपने पिता के संघर्षों के बारे में बात की है। करण जौहर के शो में अजय ने बताया था कि कैसे वीरू देवगन ने मुंबई की सड़कों पर रहकर भी कभी हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा किया।
आज अजय देवगन बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं, और यह सफलता उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है।
निष्कर्ष
वीरू देवगन सिर्फ़ एक स्टंट डायरेक्टर नहीं थे, बल्कि एक रियल लाइफ हीरो थे। उनकी जिंदगी हमें सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों और हौसला बुलंद हो, तो कोई भी मुश्किल आपको आपके सपनों से दूर नहीं रख सकती।
27 मई 2019 को वीरू देवगन इस दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन उनकी मेहनत और जज्बे की कहानी हमेशा युवाओं को प्रेरित करती रहेगी।
“सच्चे दबंग वो नहीं जो सिर्फ़ स्क्रीन पर दिखते हैं, बल्कि वो हैं जो ज़िंदगी की हर लड़ाई को बहादुरी से लड़ते हैं।” मित्रों महान कलाकार वह लोग ही बनते है जो संघर्ष में जीवन जीते है। वीरू देवगन ने इसे साबित किया है। इसलिए संघर्ष से घबराएं नहीं, उनका डटकर मुकाबला करें। विश्वास करें, अंत में जीत आपकी ही होगी।
अखिलेश शुक्ल
सेवा निवृत्त प्राचार्य लेखक ब्लॉगर