कोवैक्सीन ट्रायल से वालंटियर की मौत, दिग्विजय पहुंचे मृतक के घर

Post by: Poonam Soni

भोपाल। पीपुल्स मेडिकल कॉलेज (People’s Medical College) में चल रहे कोवैक्सीन ट्रायल (Covaxine trial) में शामिल टीला जमालपुरा निवासी वॉलेंटियर दीपक मरावी की मौत हो गई है। इस तरह की मौत का संभवतः यह देश में पहला मामला है। हालांकि पीएम में मौत की वजह पॉइजनिंग (Poisoning) बताई गई है। अब विसरा जांच के बाद ही मौत के कारण का पता चल सकेगा। दरअसल भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई गई स्वदेशी कोरोना वैक्सीन यकोवैक्सीनद्ध का 7 जनवरी को फाइनल ट्रायल पूरा हुआ था। लेकिन, इस ट्रायल में शामिल एक वॉलेंटियर की मौत हो गई। 45 साल के दीपक मरावी मजदूरी करते थे और टीला जमालपुरा की सूबेदार कॉलोनी में किराये के इसी एक कमरे में तीन बच्चों के साथ रहते थे। दीपक ने कोरोना वैक्सीन ट्रायल में हिस्सा लिया था। पहले डोज के बाद ही तबीयत खराब हो गई और अस्पताल पहुंचने से पहले दीपक की मौत हो गई। उनके शव का पोस्टमार्टम कराया गया। जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट में शव में जहर मिलने की पुष्टि हुई है। मौत कोवैक्सीन का टीका लगवाने से हुई या किसी अन्य कारण से, इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद होगी। दीपक के शव का विसरा पुलिस को सौंप दिया गया है।

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दिग्विजय पहुंचे मृतक के घर
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former Chief Minister Digvijay Singh) शनिवार सुबह टीला जमालपुरा स्थित दीपक के घर पहुंचे। उन्होंने परिजनों से बात की। उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि दीपक पर ट्रायल किया गया है। दिग्विजय ने परिजनों से बात करने के बाद सवाल किया कि पीपुल्स अस्पताल में कोवैक्सिन ट्रायल किया गया। इसमें शुरुआती 6 दिन में महज 45 ही वॉलंटियर आए थे लेकिन फिर 1 महीने के अंदर ही 1700 से अधिक लोगों पर ट्रायल किया गया।

इसमें 95 भोपाल के ही लोग हैं। उसमें से भी अधिकांश पीपुल्स अस्पताल के आसपास वाली बस्तियों जैसे गरीब नगर, शिव नगर, टिंबर नगर समेत छह से अधिक बस्तियां है। यहां एक ही परिवार के कई लोगों को टीका लगा दिया गया। लोगों का आरोप है कि उन्हें पता ही नहीं कि उन पर ट्रायल किया जा रहा है। उन्हें कोरोना का टीका लगवाने के नाम पर अस्पताल ले जाया गया था।

तबीयत बिगडी तो अस्पताल में संपर्क नहीं
टीका लगने के बाद जब उनकी तबीयत बिगड़ी, तो अस्पताल ने संपर्क तक नहीं किया। कुछ लोग अस्पताल गए। लेकिन उनका इलाज न करते हुए उन्हें प्राइवेट अस्पताल जाने की सलाह दी गई। इधर मंत्री चौधरी ने कहा कि मैं भी एक डॉक्टर हूँ। डॉक्टर होने के नाते मैं यह बात कह सकता हूं कि कोवैक्सिन के चलते मरावी की मौत नहीं हुई। क्योंकि वैक्सीन का प्रतिकूल प्रभाव होता तो वह 24 से 48 घंटे के बीच अपना असर दिखाता। खैर मौत जैसे भी हुई हो, हर मौत दुखदायी होती है। चिकित्सा शिक्षा विभाग इस मामले में जांच करेगा। सरकार मृतक दीपक मरावी के परिवार की आर्थिक मदद करेगी।

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