इटारसी। जिले में काफी बड़े क्षेत्र में धान की खेती की जाती है, अधिकतर किसान रोपा विधि से धान लगाते हैं। इसकी तुलना में मेडागास्कर विधि जिसे एसआरआई श्रीविधि कहा जाता है, इससे धान लगाना अधिक लाभाकारी है। इसमें कम पानी, कम बीज और बिना खरपतवार के धान का अच्छा उत्पादन होता है। परंपरागत विधि से किसान को प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल धान की उपज मिलती है। इसकी तुलना में श्री विधि से धान लगाने पर प्रति हेक्टेयर 35 से 50 क्विटल धान का उत्पादन होता है। यह तकनीक किसानों के लिये वरदान है।
ऐसे करें फसल की तैयारी
श्री विधि से प्रति हेक्टेयर केवल 6 से 8 किलो बीज की जरूरत होती है, इसे विशेष तरह की प्लेट अथवा पालीथिन में नर्सरी लगाकर तैयार किया जाता है। इसमें भुरभुरी मिट्टी तथा राख का होना आवश्यक है। इसके लिये 10 मीटर लंबी तथा 5 सेमी ऊंची क्यारी बनायें। इसमें 50 किलो नाडेप अथवा गोबर की खाद मिलाकर बीजों की बोनी करें। बोनी से पहले बीजों को थाईरम दवा से उपचारित करें। प्रत्येक क्यारी में 120 ग्राम बीज की बोनी करें। इन्हें ढंककर हल्की सिंचाई करें। धान रोपित करने खेत को गहरी जुताई करके उसके खरपतवार नष्ट करें। खेत में पर्याप्त पानी देकर रोपाई के लिये खेत तैयार करें। इसमें नर्सरी में तैयार धान के 15 से 21 दिन के पौधे रोपित करें। तैयार खेत में मार्कर हल की सहायता से 20-20 सेमी दूरी पर निशान बनायें। इन निशानों पर धान का केवल एक पौधा रोपित करें। पौधे से पौधे तथा कतार से कतार की दूरी 2 सेमी रखें। पौधों के बीच मे पर्याप्त अंतर होने पर उन्हें पर्याप्त हवा तथा नमी प्राप्त होगी। कतार में पर्याप्त दूरी रहने पर खरपतवार होने की स्थिति में कोनावीडर की सहायता से इन्हें आसानी से निकालकर खाद बनायी जा सकती है। धान रोपित करने के 15 दिन बाद कम मात्रा में यूरिया का छिड़काव किया जा सकता है।
इनका कहना है…
श्री विधि से धान लगाने पर खेत में पानी भरने की जरूरत नहीं होती है. लेकिन खेत में नमी बनी रहे यह व्यवस्था करें। जिस समय धान के पौधों में वृद्धि हो रही हो उस समय खेत को 2-3 दिनों के लिये सूखा छोड़ देना चाहिये. पुन: हल्की सिंचाई करके खेत को नम करना चाहिये। इस विधि से किसान 35-50 क्विंटल तक धान ले सकते हंै। इसके संबंध में जानकारियां किसान कृषि विस्तार अधिकारी से भी प्राप्त की जा सकती है।
जेएस गुर्जर, उपसंचालक कृषि