एसडीएम को ज्ञापन देने गये कामगार नेताओं को, थाने ले आयी पुलिस

Post by: Manju Thakur

इटारसी। शिवपुरी में दलित बच्चों की हत्या के विरोध में एसडीएम को ज्ञापन देने गये सफाई कामगारों के नेताओं को पुलिस थाने लाने पर शुक्रवार को सुबह माहौल में तनाव जैसी स्थिति बन रही थी। हालांकि पुलिस ने दोनों नेताओं ने लिखित में माफीनामा लिया और दोनों को छोड़ दिया। नेताओं को पुलिस द्वारा लाये जाने के बाद समाज के अनेक सदस्य भी थाने पहुंच गये थे।
प्रदेश के शिवपुरी जिले में दलित वाल्मिकी समाज के मासूम बच्चों की हत्या के विरोध में शुक्रवार को यहां भारतीय सफाई कर्मचारी महासंघ, मप्र वाल्मिकी पंचायत और मप्र राज्य वाल्मिकी एवं सफाई कर्मचारी संयुक्त मोर्चा भोपाल के संयुक्त पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार तृप्ति पटेरिया को सौंपा। दरअसल, ये लोग एसडीएम हरेन्द्रनारायण को ज्ञापन देने गये थे। लेकिन, वे नहीं मिले और उनकी अनुपस्थिति मे तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने के बाद भीड़ में शामिल कुछ युवकों ने अपने हक के समर्थन में नारेबाजी की तो प्रशासन के यह नागवार गुजरा और कोर्ट परिसर में नारेबाजी के आरोप में दलित समाज के दो नेताओं को पुलिस टीम ने जाकर थाने ले आयी। पुलिस ने जब दोनों नेताओं को गाड़ी में बिठाया तो साथ गयी भीड़ भी उनके पीछे-पीछे थाने जा पहुंची।
यहां तनाव का माहौल बनता इससे पहले टीआई आरएस चौहान ने माफीनामे की शर्त रखकर मामला खत्म करने का प्रयास किया, अन्यथा गिरफ्तार करने संबंधी बात कही। दलित नेता दोनों स्थिति में तैयार थे। आखिरकार माफीनामा लिखाया कि आगे से ऐसा नहीं होगा, इसके बाद ही इन नेताओं को छोड़ा गया। थाने से बाहर आकर सफाई कर्मचारियों के नेता मनजीत कलोसिया और किशारे मैना ने कहा कि हम बाकायदा अनुमति लेकर ज्ञापन देने गये थे। रही बात नारेबाजी की तो कुछ युवाओं ने एकाध नारा दलितों के हक में लगा दिया था। कोई ऐसा आपत्तिजनक नहीं था। लेकिन, हमारे तहसीलदार को ज्ञापन देने के बाद पुलिस आयी और हमें वाहन में बिठाकर यहां ले आये और माफीनामा लिखवाकर ही छोड़ा।
इधर इस मामले में नगर निरीक्षक राघवेन्द्र सिंह चौहान का कहना था कि सफाई कामगार और कुछ अन्य संगठन एसडीएम को ज्ञापन देने गये थे। वहां नारेबाजी की तो न्यायालय से सूचना मिलने पर पुलिस ने नेताओं को यहां लाकर समझाईश दी और लिखित में दोबारा ऐसा नहीं करने के विषय में लिखित में लिया है। हम हर संगठन को सुझाव देना चाहते हैं कि वे कोई भी कार्यक्रम बिना अनुमति के न करें।

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