किसान नेताओं और प्रशासन की हुई चर्चा
इटारसी। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के तत्वावधान में 1 से 10 जून के बीच होने वाले गांव बंद आंदोलन को किसान नेताओं ने छुट्टी आंदोलन का नाम दिया है। किसान नेताओं को कहना है कि इस दौरान न तो हम किसी को रोकेंगे, ना ही किसी प्रकार से कोई जोर जबरदस्ती की जाएगी। बस हम किसान छुट्टी मनाएंगे। न तो गांव से शहर में अपनी उपज, सब्जी, दूध आदि लेकर आएंगे और ना ही बेचेंगे। हम गांव में ही अपनी उपज को आपस में बांट देंगे और सेवा भावना के अंतर्गत सारे गांव का दूध एकत्र करके अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त में बांट देंगे।
आज किसान नेताओं ने कृषि उपज मंडी सभागार में प्रशासन के साथ बैठक में आश्वस्त किया कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा। देशभर के 120 संगठन इस आंदोलन का हिस्सा हैं। आंदोलन को लेकर कुछ गलतफहमियां थीं, जो आज की बैठक में दूर कर ली गई हैं। हम शुद्ध किसान हैं, हमारी तीन सूत्री मांगें हैं जिन पर सरकार को निर्णय करने के लिए कह रहे हैं। बैठक में एसडीएम आरएस बघेल, कृषि उपज मंडी अध्यक्ष विक्रम सिंह तोमर, एसडीओपी अनिल शर्मा, टीआई विक्रम रजक, मंडी सचिव सुनील गौर, राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष लीलाधर राजपूत, हरपाल सिंह सोलंकी सहित अन्य किसान नेता भी मौजूद थे।
ये हैं किसानों की मांगें
फसल लागत के मूल्य का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य जोड़कर फसलों के दाम तय किए जाएं।
देश में 3 लाख किसानों ने कर्ज से तंग आकर आत्महत्या की हैं। किसानों का कर्ज माफ करें।
लोकसभा का एक विशेष बुलाकर किसानों की सुनिश्चित आमदनी का कानून पारित किया जाए।
इनका कहना है…!
किसानों के आंदोलन पर किसान संघ के नेताओं से बातचीत की है। हमारा प्रयास है कि समन्वय बनाकर काम करेंगे तो किसी को भी परेशानी नहीं होगी और कानून व्यवस्था भी बनी रहेगी। इसी बात पर किसानों से चर्चा हुई है।
आरएस बघेल, एसडीएम