लंगर का प्रसाद ग्रहण कर खुद को निहाल किया
इटारसी। सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह की जयंती आज यहां गुरुद्वारा गुरुसिंघ सभा में श्रद्धा और उल्लास से मनायी गयी। इस अवसर पर गुरुद्वारा में विशेष आयोजन किये गये। पूरे दिन गुरुद्वारा गुरुसिंघ सभा में शबद कीर्तन के बोल गूंजते रहे। गुरु गोविंद सिंघ की जयंती के मौके पर गुरुद्वारे को फूलमाला और विद्युत झालरों से सजाया गया था। आज सुबह से ही दरबार में हाजिरी लगाने वालों को तांता लगा रहा।
गुरुद्वारा में गुरुपर्व की खासी रौनक रही। सुबह से ही श्रद्धालुओं का गुरुद्वारे में पहुंचने का क्रम शुरू हुआ जो शाम तक चलता रहा। पूरे दिन शबद कीर्तन किया। इस अवसर पर विशिष्ट लोगों का सम्मान किया। दोपहर में गुरु का अटूट लंगर में बड़ी संख्या में गुरु भक्त शामिल हुए और प्रसाद ग्रहण कर खुद को निहाल किया।
गुरु गोविंद सिंघ की जयंती के मौके पर आज सुबह पाठ साहिब उपरांत कीर्तन रागी सिंघ एवं हजूरी जत्थे द्वारा गुरुवाणी का वाचन किया। बाहर से आए रागी जत्थे बलवीर सिंघ उना हिमाचल प्रदेश और सतनाम सिंघ रूद्रपुर वालों ने कथा वाचन किया। नितनेम पाठ से हजूरी जत्था एवं रागी जत्था ने कीर्तन किया। दोपहर से गुरु का लंगर आयोजित किया गया।
गुरू गोविंद सिंह के 351 वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष में दो दिन पूर्व गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने नगर कीर्तन आयोजन किया था। गुरू गोविंद सिंह सिक्खों के दस गुरूओं में एक हैं। सिर्फ 9 साल की उम्र में वह धर्मगुरू बन गए थे। मुगलों द्वारा हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को खत्म करने के लिए 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। पटना में उनकी जन्म स्थली होने के कारण उनकी जयंती का मुख्य समारोह पटना साहिब में होता है जिसमें शामिल होने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं।