इटारसी। ग्राम पांजराकलॉ के एक किसान ने बुधवार को कृषि उपज मंडी के खरीदी केन्द्र पर तौल कांटे की समस्या से सीधे कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह को मोबाइल पर अवगत कराया तो उसके खिलाफ पुलिस में धारा 151 का मुकदमा पंजीबद्ध कर गिरफ्तार कर लिया गया। किसान प्रदीप चौरे पर धारा 151 का मुकदमा और गिरफ्तारी के मामले में गुरूवार को विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा के हस्तक्षेप से राजनैतिक मोड़ आ गया। दरअसल किसान के पक्ष में आए डॉ. शर्मा के गंभीर आरोपों और प्रशिक्षु एसडीएम से हुई खींचतान के बाद करीब सात घंटे में किसान को बांड शर्त पर एक लाख की जमानत दी गई। दिन भर मामले में हाईवोल्टेज ड्रामा चलता रहा। इधर पीएम मोदी की सभा को लेकर यहां आए एसपी-कलेक्टर एसडीएम कार्यालय भी पहुंचे लेकिन दोनों अफसरों ने बात करने से इंकार कर दिया।
उल्लेखनीय है कि ग्राम पांजराकलॉ निवासी किसान प्रदीप चौरे बुधवार को दो ट्राली गेहूं बेचने कृषि उपज मंडी स्थित केन्द्र पर आए थे। छोटे तौल कांटे की वजह से काफी देर हो रही थी। समय अधिक लगने पर उसने कलेक्टर को सीधे फोन लगाकर समस्या बतायी। दरअसल, ग्राम पांजराकला में आगजनी की घटना के समय कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने गांव के लोगों को अपना मोबाइल नंबर दे दिया था। कलेक्टर का नंबर होने से उसने अनाज तुलाई में हो रही देरी की जानकारी देकर पूछ लिया कि यहां बड़े कांटे से तुलाई क्यों नहीं हो रही है?
प्रदीप चौरे ने बताया कि डीएम ने फोन पर कहा कि क्या मैं तुम्हारे हिसाब से काम करूंगा और फटकारते हुए फोन काट दिया। करीब एक घंटे बाद चौरे के मोबाइल पर देहात और इटारसी थाने से कॉल आने लगे, जब बात की तो कहा कि कलेक्टर से फोन पर बात करने के मामले में चर्चा करना है तत्काल थाने आ जाओ। घबराए प्रदीप चौरे ने साथी किसानों, पूर्व जनपद अध्यक्ष भगवती चौरे को मामले की जानकारी दी। इस बीच मामला विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा तक भी पहुंचा तो उन्होंने कहा कि पास का थाना इटारसी है, मिलकर आ जाओ। वहां जाते ही पुलिस ने प्रदीप को कस्टडी में लेकर उसका मोबाइल परिजनों को दिया और कहा कि इनके खिलाफ कार्रवाई होना है। पुलिस ने प्रतिबंधात्मक धारा 151 का मुकदमा दर्ज कर रात भर उसे थाने में रखा। सुबह फिर ग्रामीण नेता और किसान थाने और विधायक के पास भी पहुंचे तो बमुश्किल 11 बजे पुलिस जमानत के लिए एसडीएम कोर्ट ले गई। विधायक डॉ. शर्मा भी अपने समर्थकों और किसानों को लेकर एसडीएम से मिलने गए, यहां एसडीएम नहीं मिले, फोन लगाया गया तो बताया कि कहीं आग लगी है वहां पर हैं। करीब आधे घंटे विधायक और समर्थक एसडीएम कोर्ट में इंतजार करते रहे, एसडीएम आए तो विधायक डॉ. शर्मा, प्रदीप चौरे के वकील अशोक शर्मा एवं जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल पटेल को चैंबर में बुलाया। विधायक ने अपनी बात रखी। बाहर आकर विधायक ने मीडिया को बताया कि एसडीएम की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
करीब घंटे भर इंतजार के बाद विधायक वापस कार्यालय आ गए, लेकिन परिजन और किसान तहसील के बाहर दरी डालकर बैठ गए। प्रदीप पांजरा निवासी 12 एकड़ का किसान है, परिवार में तीन भाईयों की संयुक्त जमीन है। साले की जमीन पर सिकमी में हुई फसल बेचने प्रदीप मंडी आया था। दो पुलिसकर्मियों के साथ किसान प्रदीप शाम 4 बजे तक जमानत लगाने के लिए इंतजार करता रहा, शाम को जब उसे पेश किया गया तो पता चला कि सर्वर डाऊन होने से मामला रजिस्टर्ड नहीं हो रहा है। बाहर परिजन और किसान दरी बैठाकर छांव में बैठ गए। इस पर प्रशिक्षु आईएएस हरेन्द्र नारायण ने बाहर आकर कहा कि आप यहां नहीं बैठ सकते, आपके खिलाफ भी मैं कार्रवाई कर दूंगा। समर्थकों से यह खबर मिलते ही विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा दोबारा मौके पर आ गए और फिर स्वयं अघोषित धरने पर बैठ गए। हालांकि यहां दूसरे बयान में शर्मा ने कहा कि हम धरने पर नहीं बैठे। किसी का रास्ता देखना जुर्म नहीं है, कोई अपराधी भी होता है तो उसके साथ लोग आते हैं, यहां किसान का संवेदनशील मसला था कई गांवों से किसान पहुंचकर जमानत का इंतजार कर रहे थे, तब प्रशिक्षु आईएएस एसडीएम हरेन्द्र नारायण आए और कहा कि तुम लोग यहां कैसे बैठे हो मैं सभी पर 151 लगा दूंगा। मैं तो कार्यालय चला गया था खबर लगी तो वापस आया।
इनका कहना है…!
सीआरपीसी के तहत एक आरोपी को पेश किया गया था, वह किसान था या कोई ओर। कानून को उसके व्यवसाय से कोई लेना-देना नहीं। जब उसे पेश किया तो उनके साथ किसान और कुछ नेता भी आए। शाम को सर्वर डाउन होने से जमानत आर्डर होने में देरी लगी, और कोई विवाद की वजह नहीं है। कानूनी रूप से पूरी कार्रवाई की गई है।
हरेन्द्रनारायण, एसडीएम
न्यायालय ने शाम को एक लाख रुपए की जमानत और एक साल के बांड पर आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया है। बांड अवधि में किसी भी तरह के कानून का उल्लंघन नहीं किया जा सकेगा।
अशोक शर्मा, अधिवक्ता
तवा कालोनी के एक मैदान में किसानों के साथ बैठे डॉ. शर्मा ने कहा कि हम धरने पर नहीं बैठे। किसी का रास्ता देखना जुर्म नहीं है, कोई अपराधी भी होता है तो उसके साथ लोग आते हैं, यहां किसान का संवेदनशील मसला था कई गांवों से किसान पहुंचकर जमानत का इंतजार कर रहे थे, तब प्रशिक्षु आईएएस एसडीएम हरेन्द्र नारायण आए और कहा कि तुम लोग यहां कैसे बैठे हो मैं सभी पर 151 लगा दूंगा। ये अफसर भय का माहौल बना रहे हैं। इनके रहते शांतिपूर्ण चुनाव और लॉ एंड आर्डर ठीक नहीं रहेगा। वरिष्ठ अधिकारियों से इनके विरूद्ध उचित कार्रवाई के लिए भी बात करूंगा। अशांति रोकने की बजाए अफसर ही अशांति बढ़ा रहे हैं। अफसर संविधान और सीआरपीसी अच्छे से देख लें कि उन्हें प्रिवेंटिव पॉवर हैं। एसडीएम के रवैए से हम संतुष्ट नहीं है। हालात नहीं सुधरे तो मामले की हवा भोपाल और हाईकोर्ट तक जाएगी फिर अफसरों को अपनी डिग्री ओर कुर्सी बचना मुश्किल हो जाएगा।