पुरातत्त्व के कण -कण में समाया हुआ है इतिहास

Post by: Manju Thakur

होशंगाबाद। शासकीय नर्मदा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के इतिहास विभाग की प्राध्यापक डॉ हंसा व्यास और डॉ कल्पना विश्वास के साथ इतिहास के विद्यार्थियों ने होशंगाबाद, आशापुरी, सांची, उदयगिरी, भोजपुर के महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थलों का भ्रमण किया और यह जाना कि इन महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक संदर्भों से प्रमाणिक इतिहास कैसे लिखा जाता है, कैसे इतिहास को समझा जा सकता है।विद्यार्थियों ने आशापुरी के पुरातात्त्विक वैभव को जब करीब से देखा तो एक ही सवाल उनके जेहन में आया कि इस बेशकीमती सम्पदा खँडहर कैसे हो गई आजादी के इतने सालो बाद भी हम क्यों सहेज नहीं पाये। डॉ हंसा व्यास ने बताया कि मध्य प्रदेश की प्राचीन मंदिर स्थापत्य कला पूर्ण रूप से विकसित एवं शास्त्रीय मानदंडों के अनुरूप थी। आशापुरी में विशाल क्षेत्र में भव्य शैव, वैष्णव, जैन , मन्दिरों की श्रृंखला विद्यमान थी। सप्त मात्र्ऋिकाओं के भव्य पेनल प्रांगण में बिखरे हुए हैं। डॉ कल्पना विश्वास ने उदयगिरी और विदिशा के ऐतिहासिक पुरातात्त्विक महत्व को रेखांकित करते हुए विद्यार्थियों को हेलियोडोरस के स्तंभ अभिलेख का राजनैतिक महत्व बताया। विद्यार्थियों ने होशंगाबाद की मूर्तिकला का अध्ययन किया और सूरजकुंड से मिले हाथी दांत के जीवाश्म को भी देखा। साथ ही पानगुराड़िया में बौध्द स्तूप के अवशेषों से और अशोक के अभिलेख से इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को समझा। पहाड़िया के शैल चित्रों से प्रागैतिहासिक कालीन इतिहास और संस्कृति को जाना। विद्यार्थियों का यह पुरातात्त्विक फेरा भारतीय इतिहास के ऐतिहासिक पुरातात्त्विक स्थलों के संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों को और अपने साथियों को जागरूक करने के साथ -साथ विषय को गहराई से समझने के लिए महाविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया था। प्राचार्य डॉ ओ एन चौबे ने बताया कि प्रत्येक विषय से सम्बन्धित विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक भ्रमण का प्रावधान है।

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