राजा वही अच्छा जो आतंक से जनता को बचाए : शास्त्री

इटारसी। सृष्टि में कोई भी युग रहा हो और आतंक का कोई भी स्वरूप रहा हो उन दुष्ट आत्माओं ने हमेशा सज्जन पुरूषों, ऋषि मुनियों और संतो सहित ब्राम्हणों को परेशान करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। समय-समय पर आतंक का वातावरण पैदा करने वाले चाहे राक्षस रहे हो या अन्य आसुरी शक्तियां उनका नाश करने के लिए ईश्वर को कई रूपों में अवतार लेना पड़ा। जीआरपी परिसर में शिव मंदिर में चल रहे श्री विष्णु महायज्ञ के तृतीय दिवस यज्ञ मंडप में बनी व्यासपीठ से संबोधित करते हुए आचार्य मनमोहन शास्त्री ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि त्रेता युग में विश्वामित्र और ऋषिमुनि यज्ञ करते थे तब मारिच और सुबाहो नाम राक्षस अपने साथी राक्षसों के साथ यज्ञ में विघ्न पैदा करते थे। मुनि विश्वामित्र इस कारण अत्यधिक चिंताग्रस्त रहते थे। एक दिन विश्वामित्र अयोध्या पहुंचे और उन्होंने राजा दशरथ से अपने दोनों पुत्र मुनियों की रक्षा के लिए मांगे। वन में जाते समय प्रभु राम ने तारणा का वध किया एवं वन में जाकर जहां यज्ञ हो रहा था वहां पर विघ्न डालने आए मारिज और सुबाहो को भी भगवान श्रीराम ने मारकर मुनियों को अभय कर दिया।
आचार्य मनमोहन शास्त्री ने कहा कि समय-समय पर आतंक की घटनाएं भारत में भी हो रही है और राजा देश की जनता को आतंक से बचाने के लिए कोई कसर न छोड़े यह उसका राजधर्म है। सेवानिवृत्त रेल पुलिसकर्मी दामोदर राव कोहले एवं उनकी पत्नी पुष्पा कोहले ने मुख्य यजमान के रूप में हवनकुंड में आहुतियां दी। रविवार को श्रीसूक्त पुरूष कनकधारा स्त्रोत के उच्चारण के साथ यज्ञ किया। आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ प्रवचन समाप्त हुए।

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