इटारसी। श्री रामलीला दशहरा उत्सव के अंतर्गत तीन दिन रासलीला महोत्सव भी हुआ। बुधवार को तीसरे और समापन दिवस पर श्री द्वारिकाधीश मंदिर में बृज का दृश्य उतर आया था। यहां श्रीकृष्ण और गोपियों के साथ ही नगर के लोगों ने भी होली खेली।
श्री द्वारिकाधीश के आंगन में बृज उतर आया। ब्रज की लोक कलाएं, रसिया, स्वांग, धमार, होरी गायन, अबीर और गुलाल। श्री द्वारिकाधीश मंदिर परिसर में बुधवार को डेढ़ क्विंटल फूलों की होली के साथही लड्डू होली, लट्ठमार होली खेली गयी। श्रीकृष्ण और राधा संग फूलों की होली शहरवासियों ने भी खेली।
राधा और कृष्ण की होली की उमंग, होली की अठखेलियों ने हृदयों को रसिया बना दिया। ग्वाल-बाल सहित कृष्ण का जमघट और ग्वालिन सहेलियों के साथ राधा के संवाद हुए। आंखों के इशारे चलते हैं। हाथों में फूलों की पंखुडिय़ां ले कर कृष्ण और उनके साथियों को पकड़ कर गुलाल मल देती हैं। इससे पहले श्रीकृष्ण का राधा संग होली खेलने का आग्रह और राधारानी का उनके अतिरिक्त किसी से रंग-गुलाल नहीं लगवाना, किसी अन्य का आलिंगन नहीं करने जैसी शर्तें रखवाई जाती हैं। बृज के कलाकारों का यह मंचन शाम छह बजे तक चला। बालकृष्ण लीला संस्थान वृंदावन के संचालक स्वामी प्रभात कुमार, श्यामसुंदर शर्मा के निर्देशन में बृज की होली का शहर के लोगों ने भरपूर आनंद लिया तो मोर नृत्य ने भी लोगों को खूब लुभाया।
विधायक ने की शुरुआत
श्री रासलीला के मंच पर विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा ने राधे-श्याम का पूजन करने के बाद फूलों की होली की शुरुआत की। डॉ. शर्मा ने राधा-कृष्ण पर फूल बरसाये। इसके बाद रासलीला में आयीं महिलाओं और पुरुषों ने पुष्प बरसाये। लगातार पंद्रह मिनट फूल बरसाकर राधा और कृष्ण को पूरी तरह से फूलों से ढंक दिया था। इसके बाद शुरु हुई नगरवासियों के साथ फूलों की होली खेलने के बारी। इसमें राधा-कृष्ण संग गोपियों ने रासलीला दर्शन करने आए सैंकड़ों भक्तों पर फूल बरसाये। भक्तों ने भी भगवान पर फूल बरसाये। सारा मंदिर परिसर बृजमंडल की तरह दिखाई दे रहा था।
लट्टमार होली भी हुई
विधायक प्रतिनिधि कल्पेश अग्रवाल और उनकी पत्नी ने लट्टमार होली की शुरुआत की। इसके बाद गोपियों के साथ श्रीकृष्ण ने भी ल_मार होली खेली। बृज की परंपरा है कि एक झंडा होता है, लट्टमार होली के साथ ही उस झंडे को लूटने की परंपरा है। गोपियां और श्रीकृष्ण के साथी ग्वालबालों के बीच झंडा छीनने की जोर आजमाईश होती है। उस ल_मार होली का भी प्रभावी मंचन किया गया। अंत में गुलाबचंद अग्रवाल, जसबीर सिंघ छाबड़ा, राहुल चौरे, गोविन्द श्रीवास्तव ने भगवान की आरती करके रासलीला उत्सव का समापन किया।