विराट चंद्र ग्रहण : सुपरमून दिखेगा रेड आरेंज मून

Post by: Manju Thakur

इटारसी। 31 जनवरी की शाम आम पूर्णिमा का मून नहीं सुपरमून होगा, जिसका आकार लगभग 14 प्रतिशत बड़ा होगा। जनवरी माह में ही दो पूर्णिमा आ जाने से यह ब्लू मून कहलायेगा लेकिन चद्रग्रहण होने के कारण यह नीला नहीं तामिया या रेड ब्लड मून की तरह दिखेगा।
विज्ञानवाणी के राजेश पाराशर ने बताया कि आज चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीध में होंगे जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ेगी और पृथ्वी के चारों ओर से निकलने वाले सूर्य प्रकाश के सात रंगों में से बाकी रंग तो वातावरण में बिखर जायेगे लेकिन लाल रंग चंद्रमा पहुंच कर उसे तामिया रंग या लालिमा देगा जिससे पूर्णिमा का चंद्रमा तांबे की तश्तरी की तरह दिखेगा। इसे रेड ब्लडमून कहा जाता है। श्री पाराशर ने बताया कि भारत में सुपरमून के साथ ग्रहण होने की घटना 35 सालों बाद हो रही है। इसके पहले 30 दिसंबर 1982 को यह हुआ था। उन्होंने कहा कि पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार पथ में घूमते हुये चंद्रमा जब पृथ्वी से सबसे नजदीक होता है तो इसे पेरिजी कहा जाता है और जब पेरिजी पर रहते हुये पूर्णिमा आती है तो वह सुपरमून कहा जाता है। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच तथा सीध में पृथ्वी आ जाती है तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा को ढ़क लेती है तो इसे चंद्र गहण कहते हैं। जब एक ही अंग्रेजी माह में दो पूर्णिमा होती हैं तो इसे ब्लू मून कहा जाता है। यह नीला नहीं दिखता है बल्कि सिर्फ नामकरण ब्लूमून किया गया है। श्री पाराशर ने बताया कि खगोलीय घटना की वैज्ञानिक समझ बढ़ाने के साथ भी अवलोकन भी करें क्योंकि 35 सालों बाद यह पल आया है।

error: Content is protected !!