संतों की संगत ही कलयुग से तरने का साधन है- श्रीजी साध्वी दीदी जी

इटारसी। संतों की संगत ही इस विशालकाय समुद्र रूपी कलयुग से तरने का एकमात्र साधन है। संत वह है, जो मनुष्य का ईश्वर से साक्षात् करवाते हैं, संत की बतायी दिशा से ही मनुष्य ईश्वर को प्राप्त करने में सक्षम हो पाता है। संत बादल के सामान होते हैं और ईश्वर समुद्र के खारे पानी की तरह। जब तक बादल समुद्र के खारे पानी को वाष्पीकृत करके उसे प्राकृतिक क्रिया द्वारा शुद्ध करके बरसाते नहीं, तब तक वह पानी मनुष्य के लिए उपयोगी नहीं होता।
उक्त उद्गार न्यास कॉलोनी में धारगा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में वृंदावन से पधारी पूज्या साध्वी श्रीजी दीदी जी ने कथा के तृतीय दिवस पर व्यक्त किये। साध्वी जी ने कहा कि जो युग यज्ञ प्रधान हुआ है वही जग प्रधान भी हुआ है। कलयुग में केवल भगवान का नाम ही मुक्ति का मार्ग है। कथा के तृतीय दिवस पर साध्वी श्री दीदी ने भरत चरित्र, नरसिंह अवतार एवं प्रहलाद चरित्र का सुन्दर और संजीव व्याख्यान किया, जिसे सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने श्रवण किया। बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा भी कथा का रसपान करने पहुंचे। यहां उन्होंने साध्वी श्रीजी दीदी जी का पुष्प माला से स्वागत कर कुछ देर कथा भी श्रवण की। गुरुवार को कथा में गजेन्द्र उद्धार, वामनावतार, रामावतार एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा का रसपान कार्य जायेगा। आयोजनकर्ता धारगा परिवार ने नगर वासियों से कथा में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने का आग्रह किया है।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!