सीमा पर तैनात सैनिकों को समर्पित एक कविता
अपने हाथों से अपने चेहरे पर रंग लगा लेना
अपने चेहरे हो तुम चेहरा मेरा बना लेना
दूरी मीलों की हो या हो चंद कदमों की
एहसास को तुम मेरे जरा अपने कर लेना
अपने हाथों से अपने चेहरे पर रंग लगा लेना
अपने हाथ चंद पल को बस मेरे बना लेना
गुलाल भरे हाथों को अपने दोपल को तांक लेना
अपने हाथों से अपने चेहरे पर रंग लगा लेना
तुम्हारे तसव्वुर ही जानम मेरी बड़ी दौलत हैं
बस ये इक बात को अपनी गांठ में बांध लेना
अपने हाथों से अपने चेहरे पर रंग लगा लेना
मत जोहना बांट मेरी बंद पलकों में ले आना
किसी आहट पर तुम दरवाजा मत खोल देना
अपने हाथों से अपने चेहरे पर रंग लगा लेना
इस बार मैं तुमसे बस ऐसे होली खेलूंगा