इटारसी। सरकारी कामकाज और जनप्रतिनिधयों की कार्यप्रणाली कितनी उबाऊ होती है कि आखिकर लोगों का धैर्य जवाब दे जाता है। ऐसे ही कुछ ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे गया तो उन्होंने स्वयं ही आपस में राशि एकत्र करके पांच दिन के समय में एक किलोमीटर मुरम की रोड बना ली और शेष दो किलोमीटर के लिए फिर राशि जुटा रहे हैं।
आश्वासनों से मिले छलावा के बाद ग्रामीणों ने 70 हजार रुपए जुटाए और पांच दिन में 1 किलोमीटर की कच्ची रोड बना ली। ग्राम पंचायत पथरोटा के एक दर्जन किसानों ने 70000 रुपए जुटाये और एक किलोमीटर की कच्ची सड़क पांच दिन में बना ली। यह मार्ग पथरोटा, देहरी और जुझारपुर को आपस में जोड़ता है जिसे बनाने की मांग ग्रामीण लंबे समय से कर रहे थे। उनको अपने खेत तक पहुंचने के लिए बड़े तालाब के सीपेज पानी से होकर 12 महीने गुजरना पड़ता था। किसानों ने कई बार ग्राम पंचायत और जनप्रतिनिधियों को इस रोड बनने के लिए आवेदन भी दिये लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी उनको केवल आश्वासन मिले।
पथरोटा के ग्रामीणों ने आपस में राशि एकत्र कर 70 हजार रुपए जुटाये और इस रोड को एक किलोमीटर तक के बना लिया। साइड में कच्ची नाली भी बना दी जिससे तालाब का सीपेज का पानी रोड तक न आए। अभी सिर्फ 1 किलोमीटर का मार्ग बना है, शेष 2 किलोमीटर और रास्ता बनाना है जिसके लिए ग्रामीण फिर से पैसा जुटा करने में जुटे हुए हैं। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधि से उम्मीद की है कि वे इस कच्चे मार्ग को पक्का बनवा दें। इससे ग्रामीणों को लंबी दूरी तक कर इटारसी होकर पथरोटा न आना पड़े। अभी कच्चा रोड बनने से यहां के ग्रामीणों को काफी राहत मिली हे।
5 दिन में बनी रोड
ग्रामीणों का कहना है कि यह रोड का बनाने का आइडिया अरुण महालहा के दिमाग में आया। उन्होंने इस रोड से लगे खेतों के मालिकों से चर्चा की। रास्ते के लिए पैसे के साथ खेत मालिक से कुछ एक-दो फुट जमीन भी मार्ग में देने राजी किया। पहले पांच से सात फीट के रोड को साईड में अतिरिक्त जमीन मिलने से रोड 10-15 फीट बन गया। रोड के किनारे गहरी नाली भी जेसीबी से बना दी जिससे तालाब के सीपेज का पानी रोड पर न आये।
ग्रामीणों ने इस रोड को बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की और 5 दिन में यह रोड तैयार कर लिया। कच्चे मार्ग को बनाने के लिए गांव के रामकृष्ण पटेल, अजय चौधरी, दीपू रावत, अशोक गालर, पवन पटेल, विनोद पटेल, प्रदीप पटेल, कमल पटेल, कैलाश दुबे, पंकज दुबे, अज्जू चौरे, आरके चौरे, अनिल रावत, दिलीप चौरे, काकू योगेन्द्र चौरे सहित अन्य ग्रामीणों ने नकद राशि और दिन-रात मेहनत कर इस रोड को तैयार किया।