पंकज पटेरिया/ गौरी नन्दन शिवपुत्र भगवान गणेश भारतीय संस्कृति में सर्व पूजित देव है।विघ्नहर्ता बुद्धि ज्ञान दाता गणेश जी की महिमा असीम है।वे बहुत जल्दी प्रसन्न भी हो जाते है। स्वाधीन आंदोलन में जनता जनार्दन को संगठित करने की दृष्टि से लोकमान्य गंगाधर तिलक ने गणेश उत्सव की शुरूआत की थी,जो आज लोक जीवन महोत्सव बन गया। किसी कार का राज में सबसे पहले मात्र एक सुपारी पर मोली लपेट अक्षत सिंदूर अर्पित कर श्री गणेशाय नमः बोल कर हम गणेश जी का आव्हान कर लेते। एक अलौकिक ऊर्जा प्रवाहित हो जाती और निर्विघ्न मंगलकार्य सम्पन्न होते।
गणेश जी एक मंत्र ॐ
गं गणपतए नमः से उनकी स्तुति हो जाती।अपनी श्रद्धा अनुसार एक से पांच माला या 21 बार नाम जप करने गनेश जी कृपा बरसने लगती है। अब लोग जागरूक हो गए मिट्टी गोबर के गणेश बना कर घर में ही विसर्जन करने लगे, ताकि पवित्र नदी त लाब का जल प्रदूषित नहीं हो। घर में नित्य पूजन के लिए अपने दाए हाथ तरफ सुंड वाली केवल अंगुष्ठ भर की प्रतिमा रखी जाती है।
श्वेतार्क गणपति महिमा
यू तो लोग कीमती धातु रत्नों के गणेश घर में बिराजते है। लेकिन इन सबमें महत्वपूर्ण श्वेतार्क गणेश जी होते है। श्वेतार्क सफ़ेद अकुआ को कहा जाता है, इसके पेड़ में साक्षात गणेश जी का वास माना गया है। जड़ से लेकर टहनी तक उनका विग्रह रूप हैं। तंत्र ज्योतिष के अनुसार रवि पुष्य नक्षत्र में शनिवार इस पेड़ के पास जाकर दुग्ध जल पूजन कर मोली बांध आमन्त्रित कर रविवार सुबह इन्हे घर में लाकर पूजन आदि घर में बिराज दिया जाता है। ओर अपने कष्ट क्लेश ख़तम कर बिगड़े काम बनाने की प्रार्थना करने से दुख संताप समाप्त होते, ओर सुख शांति समृद्धि रास्ते खुलते हैं।
पंकज पटेरिया(Pankaj Pateria), वरिष्ठ पत्रकार/कवि
संपादक : शब्द ध्वज
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