– कलेक्टर नीरज कुमार सिंह (Collector Neeraj Kumar Singh) ने पिनकॉन ग्रुप (Pincon Group) पर कसा शिकंजा
– एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी (SDM Madan Singh Raghuvanshi) ने प्रस्तुत किया प्रतिवेदन
इटारसी। चिटफंड कंपनी (Chitfund Company) पिनकॉन ग्रुप की चार सिस्टर कंसर्न कंपनियां (Sister Concern Companies) उत्कल मल्टी स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (Utkal Multi State Credit Cooperative Society Ltd.), एलआरएन फाइनेंस लिमिटेड (LRN Finance Ltd.), एलआरएन प्रॉड्यूसर लिमिटेड (LRN Producer Ltd.) और ग्रीनेज फूड प्रोडक्ट्स लिमिटेड (Greenage Food Products Ltd.) के निवेशकों की पॉलिसियों (Policies) का सत्यापन प्रतिवेदन एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी ने तैयार कर कलेक्टर नर्मदापुरम को प्रेषित कर दिया है जिसमें साढ़े पांच करोड़ के दावों का आकलन किया गया।निवेशकों के अधिवक्ता रमेश के साहू (Ramesh K Sahu) ने बताया कि तहसीलदार राजीव कहार (Rajeev Kahar) एवं विनय प्रकाश (Vinay Prakash) ने तीन दिवसीय आकलन एवं सत्यापन शिविर इटारसी तहसील में आयोजित किया जिसमें 950 निवेशकों ने अपने दावे प्रस्तुत किए थे।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने ठगे गए गरीब निवेशकों के पक्ष में त्वरित कार्यवाही की एवं पिनकॉन ग्रुप के 9 खातों को फ्रीज किए जाने के साथ-साथ प्रदेश एवं अन्य प्रदेशों में ज्ञात 13 संपत्तियों के क्रय विक्रय एवं हस्तांतरण पर रोक लगा दी है।
किसकी कितनी डिफॉल्ट राशि
– उत्कल मल्टी मल्टी स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी.. 4करोड़
– एलआरएन फाइनेंस लिमिटेड 9 लाख रुपए
– एलआरएन प्रोड्यूसर लिमिटेड 38 लाख रुपए
– ग्रीनएज फूड प्रोडक्ट लिमिटेड 1 करोड़ रुपए
कोलकाता में है मुख्यालय
अधिक ब्याज और फूड प्रोडक्ट देने का वादा करने वाले पिनकॉन ग्रुप का मुख्यालय कोलकाता (Kolkat) में है, और सरगना मनोरंजन राय (Manoranjan Rai), विनय सिंह (Vinay Singh), हरि सिंह (Hari Singh), राजकुमार राय (Rajkumar Rai), रघु जया शेट्टी (Raghu Jaya Shetty) सहित अन्य ने आर्थिक घोटाला और ठगी की है। एक कंपनी का पैसा दूसरी कंपनी में डायवर्ट कर अनेकों कंपनियां और सोसाइटी बनाई, और जब राशि वापसी का अवसर आया तो कंपनी कार्यालय बंद करके भाग गई। मध्यप्रदेश में 80 रुपए करोड़ के चिटफंड घोटाले का अनुमान है, जो कि 14 ब्रांचों के माध्यम से किया गया है। पिनकॉन ग्रुप के खिलाफ मध्यप्रदेश निवेशकों के हितों का संरक्षण अधिनियम के तहत कई शहरों में प्रकरण दर्ज कराए गए हैं।