झरोखा: पंकज पटेरिया। सुबह करीब 9-10 बजे का वक्त रहा होगा। सतरास्ता बीटीआई यानी गुरुकुल जाने बाली सड़क साफ सुथरी मुंह अंधेरे कर दी गई थी, खाकी चहल कदमी हो रही थी, पुलिस कर्मी व्यवस्था संभाल रहे थे। अनेक बीआईपी के वाहन आ जा रहे थे। मैं भी आनन फानन तैयार होकर आर्ष गुरकुल जाने मुख्य बीटीआई सड़क पर आ गया, तभी तीन इक्को बाली सफेद अम्वेसेडर कार रुकी। उसमे से फुर्ती से उतरे गोरवर्ण तेजस्व व्यक्तिव के धनी जिले के नवागत कलेक्टर सुरेश जैन, ज्वानिग के पूर्व ही जिनकी बेहतरीन कार्य शैली और जनप्रिय छवि की सुगंध जिले की हवाओ मे चतुर्दिक फैल गई थी। कलेक्टर ने उतर सीधे मुझे इंगित कर पूछा आप किस खस्ता हाल सड़क की शिकायत कर रहे थे? जिसको नगरपालिका, ओर पीडब्लू डी, कोई अपनी नही मानता, लिहाजा उसकी सालों से मरम्मत नहीं की जा रही हंै। मैने जैन साहब को तुरंत गटरू बाबू जी के बगीचे (श्री दादा धूनी वाले आश्रम)के सामने से जुम्मेराती तक जा रही कच्ची धूल गर्द से अटे रास्ते का मुआयना करा दिया। बताया सर यह सड़क को ही इस बस्ती का रक्षा कवच बनकर बाढ़ से बचाती हैं, अब यह अपना अस्तित्व ही खो रहीं हैं तो यह बस्ती भी बाढ़ बहा ले जाए। कह नही सकते? कलेक्टर गुरुकुल मंत्रियों के आने वाले प्रोटोकाल के कारण जल्दी में थे, लेकिन उन्होंने संजीदगी से सारी जानकारी ली, और कहा अब इसकी बलदियत मेरी है। कलेक्टर कार मे बैठ चले गए। दूसरे दिन सुबह ट्रक टैक्टर की खटर पटर सुनकर मैं देखने गया तो हैरत में पड़ गया अलंगे आदि डाले जा रहे थे। यानी सड़क को बल्दियत मिल गई थी, और निर्माण कार्य शुरू हो गया था। इसी तरह कुछ वाक्या याद आते हैं, कलेक्टर जो एक प्रखर लेखक भी है उन्हें पता था कि कवि मनीष पंडित, भवानी प्रसाद मिश्र होशंगाबाद के थे। उनकी विश्व प्रसिद्ध कविता सन्नाटा की रचना यंही के खंड्डहर किले को केंद्र में रख कर की गई हैं। कलेक्टर किले को देख कर लौटे मुझसे अनुरोध किया, आप यह कविता मुझे उपलब्ध कराए, हम इसे किले की कुछ जरूरी मरम्मत करवा भवानी दादा की कविता उधर उत्क्रीन करवा कर भवानी भाई की स्मृति में संग्रहालय निर्माण करवाएंगे। ताकि आने बाली पीढ़ी को ज्ञात हो सके। दादा के पुत्र स्व.अनुपम मिश्र से मिश्र जी की सन्नाटा कविता बुलाकर भेंट की। उनके रहते किसी सियासी पेंच के बहकाम शुरू नही हो पाया? कांग्रेस सरकार आई गई। मैं अखबारों में यह खबर उछलता रहा। अरसा बीत गया कहते हैं। बीज अच्छा डाला गया तो उगता जरूर हैं। लिहाजा पुन: भाजपा की ताज पोशी हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी बने, और नगर जिला प्रशासन की पहल से एक्सीलेंस स्कूल परिसर मे भवानी मिस्र स्मृति मोहक उद्यान का निर्माण हुआ। इसे निहार कर गीत फरोश मिस्र जी याद आते, तो नेपथ्य में वहीं दुग्ध धवल स्मित बिखरते जैन साहब। जिन्होंने पहले पहल इसका सुंदर स्वप्न देखा था। इसी तरह दादा माखन लाल चतुर्वेदी और भवानी दादा की याद में बाबई मार्ग पर माखन कुंज, ओर भवानी कुंज भी स्थापित करवाए थे। पता नही किस अव्यवस्था के अंधेरे को भेंट होग ये। नर्मदा निर्मित केंद्र, भाऊ साहब स्मृति, बाढ़ पीडि़तो के पुनर्वास, के लिए पड़ती भूमि पर हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, राम घाट निर्माण और पचमढ़ी के चौरागढ़ के यात्रियों के पहाड़ पर पेयजल व्यवस्था ऐसे जन हितैषी काम उन्होंने किए, जो उनकी अनूठी दूरदर्शिता की अनूठी मिसाल है। पचमढ़ी पर रचित मेरी पुस्तिका शिव की नगरी उन्ही की पहल से आकार लें पाई थी। 77 बरस की उम्र में भी जैन साहब अपनी न्याय मूर्ति पत्नी विमला जी के साथ ऊर्जावान है। आध्यात्म और समाज सेवा में निमग्न है। मां नर्मदजी केप्रति उनके भक्ति पूर्ण अनुराग का यह प्रमाण है कि इस नगर की चर्चा करते आज भी उनकी आंखे नर्मदा केनिर्मल जल सी सजल होजाती है। आज कल राजधानी में निवासरत जी साहब को ईश्वर सदा स्वस्थ सानंद रखे नर्मदा मैया।
पंकज पटेरिया
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