- गांव में नलकूप लगे नहीं और बिजली विभाग बिल दे रहा
- कुल 84 में से 60 नलकूप कैसिंग खिसकने से खराब हैं
- गर्मियों में पेयजल संकट की आशंका से परेशान हैं ग्रामीण
इटारसी। नया माना भाग-2 के विस्थापित करीब एक सैंकड़ा आदिवासी महिला-पुरुषों ने आज दोपहर में बोरी अधीक्षक कार्यालय में आकर अपने लिए सुविधाओं की मांग की। उनका कहना था कि उनको ग्राम पुनर्वास योजना अनुसार सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो रही हैं। इस दौरान बोरी अधीक्षक धीरेन्द्र सिंह चौहान ने उनको आश्वस्त किया है कि जो लोग रह गये हैं, इनके तथा जो अन्य समस्याएं आ रही हैं, उनके लिए प्रस्ताव बनाकर एक सप्ताह में उच्च स्तर पर भेजा जाएगा।
विस्थापन अधिकारी के नाम एक मांग पत्र में ग्राम नया माना भाग-2 के निवासियों ने कहा कि पुनर्वास ग्राम नया माना को बोरी से विस्थापित हुए करीब पांच वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, किन्तु जिला प्रशासन और सतपुड़ा टायगर रिजर्व के अधिकारियों ने सभी मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करायी हैं।
एक नजर नयामाना-2 की समस्या पर
ग्राम नया माना-2 में विस्थापित होकर आये 94 परिवारों के लिए स्वीकृत 94 नलकूप खनन में से 84 खनन करके दिये गये थे। पहाड़ी और बजरी वाला क्षेत्र होने से काफी परेशानियों से खनन किये नलकूप में से केवल 24 ही चालू हालत हैं, जबकि 60 नलकूप कमजोर कैसिंग खिसक जाने से खराब हो गये। अब जबकि गर्मी का सीजन कुछ समय बाद प्रारंभ होगा तो गांव में पेयजल का बड़ा संकट हो जाएगा।
सूत्र बताते हैं कि पिपरिया के एक भाजपा नेता ने गांव में नलकूप उत्खनन का कार्य किया है, अब जब ग्रामीणों को परेशानी हो रही है और अधिकारी संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं तो उनका जवाब नहीं मिल रहा है। कुछ दिन पूर्व इसी बात को लेकर एक अधिकारी और नेता जी में बहस भी हुई थी। उसके बाद से उन्होंने संपर्क भी नहीं किया और बुलाने पर आने से परहेज किया जा रहा है।
प्रत्येक परिवार को निर्धारित 2 हेक्टेयर जमीन में से कुछ कम जमीन दी गई है, ऐसा भी कहना गांव के लोगों का है। ग्राम से आये लक्ष्मण कुमरे ने कहा कि गांव में काफी समस्याएं हैं। प्रत्येक गली एवं कृषि भूमि तक पहुंच मार्ग, भूमि के चारों ओर फैंसिंग, ग्राम में मंदिर का निर्माण जैसे छोटी-छोटी किन्तु महत्वपूर्ण मांगें लेकर हम आये हैं।
ग्रामीण सत्यनारायण भल्लावी का कहना था कि कई लोगों का नलकूप खनन नहीं होने के बावजूद उनका बिजली का बिल जा रहा है। मनीराम धुर्वे, श्रीराम कुमरे की मांग है कि गांव में खेल का मैदान होना चाहिए। श्मशानघाट के लिए भूमि भी नहीं है। कलीराम मर्सकोले, सतीष उईके, सुनीति बाई आहके, रामबाई आदि का कहना था कि अधिकारी गांव में आते नहीं हंै, हमारी सुनवाई नहीं होने पर हम यहां साहब से मिलने आये हैं।
इनका कहना है…
हमने सबकी बात सुनी है, एक सप्ताह में हम प्रस्ताव बनाकर उच्च स्तर पर भेजेंगे और वहां से जैसी भी मंजूरी आएगी, उसके अनुसार काम किया जाएगा।
धीरेन्द्र सिंह चौहान, अधीक्षक