झरोखा : जनता से आए ,जनता के लिए जनता के मुख्यमंत्री

Post by: Manju Thakur

पंकज पटेरिया :
प्रदेश की बेटियों के मामा, बहनों के भैया, बुजुर्गो के बेटा…कोई वर्ग है ऐसा? जिसके बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्यार अपनत्व से भरा रिश्ता, नाता न हो, गरीब ,किसान मजदूर या आदिवासी, समाज सबके हित उनके चिंतन में सर्वोपरि हैं। और उनके हक हकूक के लिए वे सदा संघर्ष करते रहे। वे सभी तबकों के लोगो के सुख दुख को अपना मानते हैं। बल्कि जल, जमीन, जंगल और जनता की भलाई और संरक्षण के लिए शिवराज जी ने प्रदेश के 16 जिलों के तटवर्ती गांव, शहर, कस्बे मे पहुंच हाल अहवाल जाने।
नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा की थी 2016 में। उनकी इस यात्रा का विकसित शहरों में नहीं बल्कि छोटे-छोटे गांव बस्तियों में किस गर्मजोशी से स्वागत हुआ था। यह सब मैंने अनुभव किया। दूरदर्शन भोपाल ने मुझे इस यात्रा पर बातचीत कर प्रकाश डालने के लिए आमंत्रित किया था। यात्रा के अनुभव मैंने दूरदर्शन पर वहां की एक एंकर डॉ तपस्या तोमर के सवालों पर साझा किए थे। किस तरह अपनेपन से हर्ष, उत्साह और उमंग भरे गांववासी अपने मुख्यमंत्री को भैया शिवराज, मामा अपने गांव को मोड़ा देखो अपने लाने का जुगत कर रहा है। अपनी भलाई के लाने क्या नहीं जतन कर रहा है। अरे भैया हरो, ए काकी ये जीजी, सब हरो मिल जुल गोबर से लीप डालो सड़क, अपने गांव से गुजरेंगे बेशक झंडी वंदनवार लगा दो।वे अपने लाने कष्ट उठा रहे। इतना तो अपनो को करना चाहिए।
और लोग खुशी खुशी उनके स्वागत में पलक पावडे बिछाए दिन रात एक कर उल्हास उमंग से लबालब उमड़ पड़े थे। यह थी जमीन से जुड़े जनता से आए जनता के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की, आम जनता के बीच लोकप्रियता और पहुंच।
वे बेशक असाधारण मुख्यमंत्री हैं। निहायत साधारण ढंग से प्रदेशवासियों से अपनेपन से मिलना उन्हें विशिष्ट बना देता।आदिवासी अंचल में चल रहे भगोरिया लोक उत्सव में शामिल होने सीएम भाभी जी श्रीमती साधना सिंह के साथ अलीराजपुर में पहुंच गए।
उन्होंने उसी तरह की लोक उत्सव पोशाक भी पहन रखी थी। इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की।अगली बार से यह लोक उत्सव सांस्कृतिक लोक उत्सव के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाएगा।
यही उनकी विशेषता है कि वे सबके दिलों में धड़कते हैं। उनके जन्मदिन पर इसी तरह की सौगातें प्रदेशवासियों को अलग-अलग अंचल में वे भेंट कर रहे हैं। अपने जन्म दिवस को सार्वजनिक नहीं बनाया बल्कि लाडली बहनो को बुलाकर उन्हें सम्मान दिया। बहनों ने पौधरोपण कर भाई दूज मनाई । एक शेर का उल्लेख मोजु लगता इति है वो मेरा जैसा है हम उसके जैसे है।

pankaj pateriya

नर्मदे हर।
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार
साहित्यकार
9340244352, 9407505651

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