झरोखा : बाबा तुलसी दास जी आज भी सामयिक

Post by: Manju Thakur

Jharokha: Life is burning in DJ and firecrackers

: पंकज पटेरिया –
राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त ने लिखा है राम तुम्हारा नाम स्वयं ही काव्य है, चाहे जो कवि बन जाए सहज सम्भाव्य है। प्रखर संपादक और कीर्ति शेष कवि राजेंद्र कुमार संपादित प्रदेश सभी जिलों के प्रतिनिधि रचनाकारों की रचनाएं लेकर प्रकाशित किया गया। संग्रह हम चाकर रघुवीर के काल जई कृति मे कीर्ति शेष साहित्य कार मनोहर पटेरिया मधुर ने लेखनी तुम्हारी स्वयं बन गई मां कोशल्या निरूपित कर अदभुत उपमा देकर बाबा तुलसी दास जी के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की है।
यह राम काज है, तो श्री राघव सरकार का अपने को अनुचर मानने वाले पवन पुत्र हनुमान जी महाराज ने सबसे बड़ी बात कहते है रामकाज किन्ही बिना मोहे कहां विश्राम और तुलसी दास जी की विनय शीलता देखिए श्री राम चरित मानस जैसे महान ग्रंथ की रचते हुए उनके हृदय में कहीं भी अहम नहीं आया। यह उनका राम काज हुआ।
रामायण जी जैसे महान ग्रंथ की क्या महिमा गाई जाए। विश्व की लगभग़ सभी भाषाओं में इसके अनुवाद हो चुके। एक विदेशी विद्वान फादर तो रामायण का अंग्रेजी अनुवाद पढकर इतने अभिभूत हुए और बकायदा भारत आकर अलाहबाद विश्व विद्यालय में प्रवेश लेकर हिंदी सीखी और फिर मानस का अध्ययन कर स्वयं उस पर पीएचडी की।
रामायण एक आदर्श ग्रंथ है, जो विश्व भर को एक आदर्श व्यवस्था की दृष्टि प्रदान करता है। संमभाव, सोहद्र, संवेदनशीलता, दयाभाव, भाईचारा, बड़े बुजुर्गो के प्रति आदर, भावना यह सब बाते रामायण में बाबा तुलसीदास ने सविनय भाव से अपने राम की जग के राम की महिमा गान करते हुए कही है। अतः यह कहने में कहीं कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए कि रामायण जी आज भी प्रासंगिक है। अगर हम इससे प्रेरणा ले तो आज का राज भी रामराज बन सकता है।
नर्मदे हर।

pankaj pateriya edited

पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
9893903003
9340244352

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