मारवाड़ी समाज ने निकाली गणगौर शोभायात्रा, जगह-जगह स्वागत

इटारसी। मारवाड़ी समाज ने आज 24 मार्च, शुक्रवार को गणगौर महोत्सव के अंतर्गत गणगौर की शोभायात्रा निकाली। अग्रवाल भवन से प्रारंभ शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया। गणगौर शोभायात्रा अग्रवाल भवन से शाम 4 बजे प्रारंभ हुई और नगर के प्रमुख मार्गों से होकर कमला नेहरू पार्क पहुंची जहां समाज द्वारा गोट का आयोजन किया।

गणगौर उत्सव की शोभायात्रा अग्रवाल भवन से प्रारंभ होकर तालाब मोहल्ला, 11 वीं लाइन, 9 वीं लाइन से सराफा बाजार, जय स्तंभ होते हुए द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर के रास्ते कमला नेहरू पार्क में पहुंची जहां पर मारवाड़ी समाज की गोट का आयोजन किया गया। श्री द्वारिकाधीश मंदिर समिति ने शोभायात्रा का स्वागत कर पूजन किया। इसके बाद पार्क पहुंचे जहां मारवाड़ी समाज के सभी संगठनों के महिलाएं एवं पुरुष पहुंचे थे।

गौरतलब है कि गणगौर पर्व चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीज) को आता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां एवं विवाहित महिलाएं शिवजी (इसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं। पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटे देते हुए ‘गोर गोर गोमतीÓ गीत गाती हैं। इस दिन पूजन के समय रेणुका की गौर बनाकर उस पर महावर, सिन्दूर और चूड़ी चढ़ाने का विशेष प्रावधान है। चन्दन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य से पूजन करके भोग लगाया जाता है।

गण (शिव) तथा गौर (पार्वती) के इस पर्व में कुंवारी लड़कियां मनपसन्द वर पाने की कामना करती हैं। विवाहित महिलायें चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक, 18 दिनों तक चलने वाला त्योहार है, गणगौर। यह माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा अठारह दिनों के बाद ईसर (भगवान शिव ) उन्हें फिर लेने के लिए आते हैं ,चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है। गणगौर पूजन में कन्याएं और महिलाएं अपने लिए अखंड सौभाग्य, अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि तथा गणगौर से प्रतिवर्ष फिर से आने का आग्रह करती हैं।

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AUTHORRohit

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