श्री बूढ़ी माता मंदिर में मनायी मां धूमावती की जयंती

Post by: Rohit Nage

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इटारसी। श्री बूढ़ी माता मंदिर मालवीयगंज में आज मां धूमावती की जयंती मनायी गयी।

इस अवसर पर धार्मिक आयोजन हवन-पूजन के अलावा भंडारा का आयोजन भी किया गया। मां धूमावती जयंती के अवसर पर अनेक भक्तों ने पहुंचकर मां धूमावती के रूप के दर्शन किये।
बता दें कि श्री बूढ़ी माता मंदिर में  आज के दिन रोज की तरह मां का पूजन-पाठ किया और मां का धूमावती रूप का श्रंगार किया गया।

इस दिन मनायी जाती है जयंती

धूमावती जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। मां धूमावती भगवान शिव द्वारा प्रकट की गई 10 महाविद्याओं में से एक हैं। यह सातवीं महाविद्या हैं और ज्येष्ठा नक्षत्र में निवास करती हैं। मां धूमावती को अलक्ष्मी भी कहते हैं। यह मां पार्वती का सबसे डरावना स्वरूप है। दरिद्रता और रोगों को दूर करने के लिए मां धूमावती की पूजा की जाती है।

मां पार्वती का उग्र रूप

मां धूमावती माता पार्वती की उग्र स्वरूप हैं। यह विधवा, कुरूप, खुली हुई केशोंवाली, दुबली पतली, सफेद साड़ी पहने हुए रथ पर सवार रहती हैं। इनको अलक्ष्मी भी कहते हैं। एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी। उन्होंने भगवान शिव से भोजन के लिए कहा, तो उन्होंने तत्काल व्यवस्था करने की बात कही। लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी भोजन नहीं आया।
इधर भूख से व्याकुल माता पार्वती भोजन की प्रतीक्षा कर रही थीं। जब भूख बर्दाश्त नहीं हुई, तो उन्होंने भगवान शिव को ही निगल लिया। ऐसा करते ही उनके शरीर से धुआं निकलने लगा। भगवान शिव उनके उदर से बाहर आ गए और कहा कि तुमने तो अपने पति को ही निगल लिया। अब से तुम विधवा स्वरूप में रहोगी और धूमावती के नाम से प्रसिद्ध होगी।

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