संदर्भ : सरकार पचमढ़ी में …

Post by: Rohit Nage

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Bachpan AHPS Itarsi

: झरोखा – पंकज पटेरिया  

भीषण गर्मी के इन तपते दिनों में सतपुड़ा (Satpura) की रानी पुष्प और प्रपात मनोहारी स्थली पचमढ़ी (Pachmarhi) प्रदेश की राजधानी बनती थी। मुख्यमंत्री (Chief Minister) राज्यपाल (Governor) मंत्रिमंडल और आला अफसर गर्मी भर पचमढ़ी में डेरा डाले रहता था। सारे सरकारी कामकाज पचमढ़ी से ही संचालित होते थे। गर्मी के दिनों में देश के प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद (President Babu Rajendra Prasad) जी भी पचमढ़ी प्रवास पर आते थे। उनकी स्मृति में राजेंद्र गिरी नामक एक मनोरम स्थल भी है।

हमारे प्रदेश के सर्व वर्ग लोकप्रिय मुख्य मंत्री शिवराज जी चौहान (Chief Minister Shivraj Chouhan) और उनके मंत्रिमंडल के दो दिवसीय चिंतन मनन मंथन शिविर में पचमढ़ी आगमन पर, पत्रकारिता करते हुए तीन चार दशक पहले की स्मृतिया प्रसंग वश ताजा हो गई। यकीनन काम करने वाली शिवराज सरकार की चिंतन मनन मंथन के बाद जो नवनीत निष्कर्ष निकलेगा जाहिर है वह प्रदेश की नई दिशा तय करेगा। जिससे आम जनता की भलाई के काम होंगे।
बहरहाल पचमढ़ी की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की परंपरा प्रदेश के कीर्ति शेष मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल ने शुरू की थी। उसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री पं. द्वारका प्रसाद मिश्र बने थे, उन्होंने इस परंपरा को बरकरार रखा। तभी यहां राज्यपाल मुख्यमंत्री के शानदार निवास बने मंत्रियों के भी आवास बनाए, दिलचस्प है किनके खूबसूरत नाम भी दिए गए थे जो आज भी इन आलीशान हरे भरे दरख्तों से घिरे खूबसूरत बंगलों के गेटों पर अंकित है। बतौर उदाहरण शेखर, चंपक, देवदारू, प्रस्तल आदि। डीपी मिश्रा जी ने तो बताते हैं महादेव पहाड़ी के एकांत में स्थितएक सुरम्य बंगले को अपने लियेरखा था जहां वे लेखन रत रहते थे कहा जाता है उनकी प्रसिद्ध कृति कृष्ण आयन की रचना इसी बंगले में हुई है। पचमढ़ी को शिव की नगरी भी कहा जाता है यहां देवा दी देव महादेव के अनेक मंदिर हैं जिनकेके दर्शन कर मन को अलौकिक सुख शांति मिलती है। इन पंक्तियों के लेखक ने स्वर्गीय पटवा जी की सरकार के दौरान तात्कालिक कलेक्टर सुरेश जैन साहबकेआग्रह पर इन स्थलों के दर्शन कर एक छोटी सी पुस्तिका भी शिव की नगरी पचमढ़ी नाम से लिखी थी। इसका कथासार यह है की जब भस्मासुर को शिव जी ने यह वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा।
लिहाजा भस्मासुर महादेव जी के पीछे ही लग गया, पौराणिक कथा के मुताबिक तब शिवजी ने तिलक सिंदूर इटारसी से गुप्त प्रस्थान किया और पचमढ़ी के इन्हीं रमणीय स्थलों में वे शरण लेते रहे लेकिन भस्मासुर यहां भी आता रहा तब भगवान विष्णु ने मायारूप मे मोहनी नृत्य किया इससे सम्मोहित हो भस्मासुर भी नृत्य करने लगा तभी विष्णु जी ने अपना हाथ सिर पर रखा उसका अनुकरण करते हुए भस्मासुर ने भी अपना हाथ सिर पर रखा और वह उसी क्षण भस्महो गया। खेर हर साहब पचमढ़ी कई दुर्लभ जड़ी बूटी औषधि का भी अहम स्थल है। जिन पर शोध किया जाना चाहिए। लाइलाज बीमारियों की अचूक दवा यहां पाई जाने वाली जड़ी बूटियों से बनाई जा सकती है। पचमढ़ी प्रवास पर मुझे यह जानकारी तात्कालिक एक पर्यटन अधिकारी ने दी थी। जो स्वयं भी जड़ी बूटियों की जानकारी रखते थे और जंगलों पहाड़ों में पाई जाने वाली दुर्लभ जड़ी बूटी तो शक्ति वर्धक टॉनिक और गोलियां चूर्ण आदि अपने घर पर बना कर बाहर से आने वाले पर्यटक को बेचा करते थे। कुछ वर्ष पहले सरकार ने भी यहां जड़ी बूटी के शोध एवं निर्माण केंद्र के स्थापना की घोषणा भी की थी इस संबंध में पर्यटन विभाग के एक आला अफसर का प्रेस में बयान भी आया था,संभवत उस दिशा में कुछ काम भी हुआ हो या कोरोना की जैसे प्राकृतिक संकट के कारण शुरू भी नहीं हो पाया हो। लेकिन यह सच है कि भारतीय जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल में पचमढ़ी की तस्वीर तासीर बदली है यहां प्रदेश के अन्य जिलों की तरह विकास के कई काम हुए हैं। नहीं तो एक जमाना था की पचमढ़ी में दूध भी छिंदवाड़ा से आता था और साग भाजी भी सप्ताह में एक बार पिपरिया अथवा आसपास के नगरों से आती थी। तब कृषि विभाग के आला अधिकारी संभवत रिछारिया साहब ने यहां के बड़े पार्क में कृषि केंद्र में प्रयोग कर नई सब्जियां का आविष्कार किया था जिनमें काले जामुन नाम की एक सब्जी बहुत मशहूर होती थी सब्जी ना मिलने की सूरत में इसे बनाकर खाया जाता था जो बहुत जायकेदार लगती थी। पचमढ़ी के आम तो बहुत मशहूर हैं जो यूपी के उन्नत किस्म के आमों को टक्कर देने में पीछे नहीं है। इन 2 दिनों में सरकार के चिंतन के नए आयाम आएंगे जिससे प्रदेश में विकास का बेहतरीन रोड मैप बनेगा जो देश में अपनी मिशाल आप होगा। यह उम्मीद की जानी चाहिए।

pankaj pateriya

– पंकज पटेरिया

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