होशंगाबाद। माधव सन्यास आश्रम में गुरूपूर्णिमा से पूर्व कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें चार तरह के गुरूओं को बताया गया। इस दौरान माधवानंद गिरी ने कहा कि वेदों का चार भागों में विभाजन कर्ता, 18 पुराणों के रचयिता, वेदांत दर्शन का श्रेष्ठ ग्रन्थ ब्रह्म सूत्र के प्रणेता महर्षि पराशर के सुपुत्र कृष्ण व्दैपायन भगवान वेदव्यास का जन्म आषाढ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन माता सत्यवती के गर्भ से हुआ था। इसी दिन को व्यास पूर्णिमा तथा गुरु पूर्णिमा भी कहते है। भगवान वेदव्यास आदि गुरु के रुप में माने जाते है। मनुष्य के जीवन में पांच प्रकार के गुरुओ का प्रमुख स्थान है प्रथम माता, दूसरा पिता, तीसरा कुल गुरू, चौथा विद्या है। पांचवा सदगुरू जो भगवत का नाम मंत्र की दीक्षा प्रदान करते हैं। भगवन भक्ति में सलंग्न करते है एवं आत्मतत्व का वोधक कराते है। इनकी कृपा से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।