बिना हरिकृपा के संत नहीं मिलते, ईस कृपा से ही संतों का सानिध्य मिलता

Post by: Aakash Katare

इटारसी। तवानगर स्थित दादाजी दरबार में शिव महापुराण कथा के चौथे दिन कथा वाचक पं. सौरभ दुबे ने माता अनसुईया की कथा सुनायी। माता अनसुईया के सतीत्व की परीक्षा लेने भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश पृथ्वी पर आए। माता अनसुईया से उन्होंने स्तनपान कराने का प्रस्ताव रखा, तभी माता अनसुईया ने अपने पतिव्रत धर्म के तेज से तीनों देवताओं को नन्हें बालक बना दिया और अब तीनों देवताओं को दुग्ध पान कराया एवं माता सरस्वती, माता लक्ष्मी और माता पार्वती के अभिमान को नष्ट किया।

सतीत्व की महिमा बताते हुए कथा में संतों की महिमा का बखान किया। दादाजी धूनीवाले की महिमा का बखान किया एवं वर्णन किया। दादाजी धूनीवाले को स्वयं साक्षात भगवान शंकर का अवतार बताया कि शिव महापुराण कथा किस प्रकार से इस पृथ्वी पर संतों का सानिध्य पाने से मनुष्य का उद्धार होता है। उन्होंने बताया कि भगवान शंकर भी भगत के वश में हैं। दादा दरबार में धूनी वाले दादा जी की कथा में बताया कि जब नर्मदा की परिक्रमा करते हुए श्री गौरीशंकर जी ने मां नर्मदा जी की परिक्रमा इस संकल्प के साथ उठाई कि मुझे भगवान शंकर का साक्षात दर्शन हो, इस कामना से श्री गौरीशंकर जी महाराज ने नर्मदा की परिक्रमा करते हुए जब कई वर्ष बीत गए, तब मन में ख्याल आया कितने वर्षों की तपस्या के बाद भी शंकर जी का दर्शन नहीं हुआ।

नर्मदा जी ने दर्शन देकर बताया कि उनकी जमात में श्री बड़े दादा जी केशवानंद जी महाराज ही साक्षात शंकर जी हैं, जो इस पूरे नर्मदा परिक्रमा के दौरान जमात को रोज नए-नए पकवान बनाकर भोजन कराते हैं। सिवनी मालवा से आए पं. समीर शर्मा ने कथा का रसपान कर कहा कि तवानगर में इस पवित्र भूमि पर सिद्ध संतों का बास है। कथा के दौरान ही आज रुद्री शिवलिंग बनाकर विधि विधान से पूजन और अभिषेक भी किया गया।

Leave a Comment

error: Content is protected !!