सिवनी मालवा। ग्राम अर्चनागांव में श्रीमद्भागवत कथा का कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ। कथा 8 नवंबर तक चलेगी। कथा का वाचन हरदा के कथा वाचक पं. विद्याधर उपाध्याय के श्रीमुख से किया जा रहा है। कथा के पहले ग्राम के विभिन्न मार्गों से कलश यात्रा निकाली। प्रथम दिवस की कथा में विद्याधर उपाध्याय ने धुंधकारी का प्रसंग सुनाते हुए राजा परीक्षित के जन्म एवं कलयुग के आगमन की कथा सुनाई और भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों का जिक्र किया।
श्रीमद्भागवत कथा की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बिनु परतीती होई नहीं प्रीति अर्थात माहात्म्य ज्ञान के बिना प्रेम चिरंजीव नहीं होता, अस्थायी हो जाता है। धुंधकारी चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्मसात कर लेें तो जीवन से सारी उलझनें समाप्त हो जाएंगी। महाराज ने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। श्रीमदभागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की।
भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है। उन्होंने अच्छे ओर बुरे कर्मो की परिणिति को विस्तार से समझाते हुए कहा कि मनुष्य जब अच्छे कर्मों के लिए आगे बढ़ता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है और हमारे सारे कार्य सफल होते है। ठीक उसी तरह बुरे कर्मों की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियां हमारे साथ हो जाती हैं। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है।