सियासत के गलियारे… जीत की उम्मीदों से लबरेज हैं दोनों दल

सियासत के गलियारे… जीत की उम्मीदों से लबरेज हैं दोनों दल

रोहित नागे,

विधानसभा चुनावों को लेकर दोनों प्रमुख पार्टियों की तैयारी जोरशोर से चल रही है। हालांकि अभी निर्वाचन आयोग ने तारीखों की घोषणा तो नहीं की है, लेकिन आयोग की भी तैयारी जोरों पर है। भारतीय जनता पार्टी का संगठन और जनप्रतिनिधि अपनी जीत के लिए सरकारी कामकाज को जनता तक पहुंचाकर आकर्षित करने में लगे हैं तो कांग्रेस ने भ्रष्टाचार और महंगाई को मुख्य मुद्दा बनाया है। कांग्रेस के आंदोलनों में भी तेजी आयी है, जो भाजपा सरकार की योजनाओं को सवालों के घेरे में और मुख्यमंत्री की घोषणाओं को केवल घोषणा साबित करने में जुटी है।

ये आग कैसे बुझेगी

स्थानीय स्तर पर कोई विशेष मुद्दा इस चुनावों में अभी तक तो प्रमुखता से नहीं उछाला गया है। अलबत्ता विधायक की ओर से अपने कार्यकाल में किये गये कार्यों को अवश्य जनता के ध्यान में लाया जा रहा है। कांग्रेस एकजुट तो कतई दिखाई नहीं दे रही है, पिछले दिनों भाजपा में भी असंतोष की ज्वाला धधकती दिखाई दी है। उस पर प्रवासी विधायक की यह बात कि असंतुष्टों से बात करके सब सुलझा लिया है, ज्यादा विश्वसनीय नहीं लग रही है। हो सकता हो कि असंतुष्ट नेताओं को केवल चुप रहने की हिदायत दी गई हो।
सिटिंग एमएलए से नाराजी केवल नर्मदापुरम में हो, ऐसा नहीं है। पिपरिया विधायक के खिलाफ भी एक बड़ा गुट आलाकमान से मिलने की तैयारी में है तो सोहागपुर विधायक के विरोध में भी सोशल मीडिया पर जब-तब लोग मुखर हो रहे हैं। इन सबके बीच केवल एक बात संतोष करने वाली है कि प्रवासी विधायकों ने इटारसी में दो अलग-अलग पत्रकार वार्ता में दोनों विधायकों के कामकाज से संतोष व्यक्त करके उनकी राह आसान कर दी है। बहरहाल असंतोष की आग और भभकेगी या फिर आलाकमान की सख्त हिदायतों का जल उसे ठंडा करेगा, आने वाला वक्त बतायेगा।

कांग्रेस भावी योजना के भरोसे

कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की घोषित हर महिला को 15 सौ रुपए वाली नारी सम्मान योजना के भरोसे आगे बढ़ रही है और वार्ड स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ता शिविरों के माध्यम से लाड़ली बहना योजना को शिकस्त देने जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। यह मेहनत कितनी रंग लायेगी और महिलाओं के कितने वोट कांग्रेस के पक्ष में पड़ेंगे यह तो परिणाम ही बतायेगा।
इधर भारतीय जनता पार्टी को लाड़ली बहना योजना से बड़ा भरोसा है। सरकार भी महिला वोटर्स को मतदान केन्द्र तक पहुंचाने के प्रयासों में जुटी है ताकि उनका मत प्रतिशत पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में बढ़ाया जा सके। पिछले दिनों प्रशासन स्तर पर महिलाओं का मत प्रतिशत बढ़ाने रैली भी निकाली गयी, स्वसहायता समूहों व वार्ड स्तर पर महिलाओं से आवश्यक मतदान के लिए हामी भरवायी जा रही है।
कुल जमा दोनों ही पार्टियां अपने पक्ष में वोट कराने किसी प्रकार की कसर नहीं रखना चाहती है, असंतोष के बावजूद हर गुट पार्टी के लिए समर्पित दिख रहा है। यह समर्पण टिकट की घोषणा होने के बाद भी ऐसा ही रहेगा, या नहीं यह भी भविष्य के गर्भ में है।

दावेदारों को घोषणा का इंतजार

फिलवक्त दोनों पार्टियों के दावेदार अपने-अपने स्तर पर आलाकमान की तरफ कातर नजरों से देख रहे हैं। अभी दोनों ही पार्टियों की ओर से किसे टिकट मिलेगी, इसके कोई स्पष्ट संकेत नजर नहीं आ रहे हैं, सिटिंग एमएलए अपनी टिकट पक्की मानकर मेहनत कर रहे हैं, अपने कार्यकाल की उपलब्धियां लेकर जनता के बीच जा रहे हैं तो कांग्रेस की ओर से टिकट के दावेदार हर कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के प्रयास कर रहे हैं, चाहे वह खुशी का अवसर हो या फिर गम का।
कुछ नाम ऐसे हैं, जिनको पार्टी कार्यकर्ता भी मानकर चल रहे हैं कि उनकी टिकट पक्की हो सकती है, लेकिन कांग्रेस में टिकट मिलने और कटने का खेल पुराना है और इतिहास की घटनाओं को देखते हुए कोई भी कार्यकर्ता खुलकर किसी दावेदार के समर्थन में नहीं खड़ा हो रहा है। कुछ ऐसे चेहरे जो पहले कभी पार्टी के कार्यक्रमों में नहीं दिखे, उनके नामों पर दबी जुबान में असंतुष्टों ने भी बोलना शुरु कर दिया है। आगामी कुछ दिनों में तस्वीर साफ होगी, इसकी संभावना है, कम से कम कांग्रेस जल्द ही टिकट घोषित करेगी, इसका इंतजार है।

रोहित नागे, इटारसी
9424482883

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