नवरात्रि पर्व पर विशेष: सलकनपुर दरबार में रात से ही लगने लगा भक्तों का मेला

Post by: Poonam Soni

Bachpan AHPS Itarsi

बैतूल, हरदा, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, सीहोर, भोपाल से पैदल भी जा रहे भक्त

इटारसी, (रोहित नागे)। कोरोना के खौफ पर आस्था भारी पडऩे लगी है। विगत दो वर्ष से मां के दर्शन नहीं कर पाने की कसम भक्त इस नवरात्रि (Navratri) पर उतार रहे हैं। नवरात्रि के पहले ही दिन देवी धाम सलकनपुर (Devi Dham Salkanpur) में दर्शन करने पूर्व की अपेक्षा लगभग दोगुने भक्त पहुंचे। आमतौर पर पहले दिन इतनी बड़ी संख्या में भक्त नहीं पहुंच पाते हैं। इस वर्ष पहले ही दिन हजारों भक्त पहुंचे। हालांकि मंदिर परिसर में भक्तों को सोशल डिस्टेंस से दर्शन कराने की मंदिर में मौजूद पुलिस कर्मियों ने काफी कोशिश की। लेकिन, आस्था के आगे वे भी एक सीमा तक भक्तों को रोक सके।
गौरतलब है कि सीहोर जिले के सलकनपुर नामक स्थान पर मां भगवती विजयासन (Maa Bhagwati Vijayasana) के दर्शन करने नवरात्र में लाखों भक्त पहुंचते हैं। पहले दिन अपेक्षाकृत भक्तों की संख्या कम होती है और हर रोज संख्या में बढ़ोतरी होती जाती है। नवरात्रि के दो दिन पूर्व से भक्त दूर-दूर से पैदल ही दर्शन करने पहुंचते हैं। इस बार कोरोना गाइड लाइन के चलते मंदिर परिसर में सीमित संख्या में भक्तों को दर्शन कराने के निर्देश के चलते गर्भगृह के सामने स्थित हाल को बंद करके केवल दो गैलरी बनायी गयी थी। मंदिर के द्वार भी तीन तरफ की जगह दो जगह से खोले गये, जिसमें एक से प्रवेश और दूसरे से निकासी थी। गर्भगृह के सामने किसी को अधिक देर रुकने नहीं दिया जा रहा था और दर्शन चलते हुए करने को कहा जा रहा था।

आस्था के सहारे कष्ट निवारण
लगभग तीन-साढ़े तीन दशक पहले भक्तों को पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक पहुंचने पगडंडियों पर चलना पड़ता था। वर्तमान में 1400 सीढिय़ों का सफर मंदिर तक पहुंचा देता है, मन में आस्था लिये भक्त कष्टों को सहते हुए कब मंदिर तक पहुंच जाते हैं, उनको पता ही नहीं चलता। इसी के साथ अब मंदिर वाहन से जाने के लिए पहाड़ी रास्ते पर पक्की रोड बनायी गयी है, और भक्त दोपहिया, चार पहिया वाहनों से और पैदल भी सड़क के रास्ते मंदिर तक पहुंच सकते हैं। लोग सीढिय़ों और वाहन से नहीं जा पाते वे यहां रोप-वे से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

गर्भगृह में मां विजयासन विराजमान

salkanpur dhan
मंदिर के गर्भगृह में मां विजयासन रूप विराजमान है। यहां विराजित, सिद्धेश्वरी मां विजयासन की प्रतिमा स्वयंभू है। माता पार्वती के रूप में वे ममतामयी रूप में अपनी गोद में भगवान गणेश को लिए हुए बैठी हैं। इसी मंदिर में महालक्ष्मी, महासरस्वती और भगवान भैरव भी विराजमान हैं। वर्षों से पूरे मध्यप्रदेश से हजारों भक्त यहां मां के दर्शन को पहुंचते हैं। पहले मंदिर तक पहुंचना कठिन था, लोगों ने सहयोग करके सीढिय़ों का निर्माण कराया तो अब सड़क भी बनी और रोप-वे भी मंदिर तक पहुंचने का साधन बन गया। सीढिय़ों पर प्रसाद की सैंकड़ों दुकानें हैं।

यह भी है कहानी
माना जाता है कि मां विजयासन के इस मंदिर का निर्माण 1100 ई. के करीब गौंड राजाओं ने किला गिन्नौरगढ़ निर्माण के दौरान कराया था। प्रसिद्ध संत भद्रानंद स्वामी ने मां विजयासन धाम में कठोर तपस्या की। उन्होंने नल योगिनियों की स्थापना कर क्षेत्र को सिद्ध शक्तिपीठ बनाया था। कहा जाता है कि राक्षस रक्त बीज के वध के बाद माता जिस स्थान पर बैठी थीं, उसी स्थान को विजयासन के रूप में जाना जाता है। पहले यहां एक मढिय़ा होती थी और फिर भक्तों के सहयोग से एक छोटा मंदिर बना। मप्र सरकार ने ट्रस्ट बनाकर इसे भव्य रूप प्रदान किया है।

ऐसे पहुंचें मां विजयासन के दरबार
सलकनपुर मंदिर मप्र के सीहोर जिले में स्थित है। यहां हर वर्ष नवरात्रि के दौरान हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते है। यह मंदिर मप्र की राजधानी भोपाल से करीब 70 किलोमीटर, इटारसी से 52 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां पर गर्भगृह में बीजासन माता की एक प्राकृतिक रूप से निर्मित एक मूर्ति है। यहां पर मंदिर परिसर में देवी लक्ष्मी और सरस्वती, और भैरव के मंदिर भी स्थित है। सलकनपुर जाने के लिए केवल सड़क मार्ग का ही इस्तेमाल किया जा सकता है। रेल से भोपाल, इटारसी, होशंगाबाद, बुदनी जाकर फिर सड़क मार्ग ही चुनना पड़ता है।

सलकनपुर मंदिर का इतिहास
मंदिर का निर्माण बंजारों ने कराया माना जाता है। करीब तीन सदी पूर्व यहां बंजारे रुके थे, जो पशुओं का व्यापार करते थे। अचानक उनके पशु गुम हो गये। बंजारे पशुओं की तलाश में निकले तो उन्हें छोटी बच्ची मिली। लड़की ने बताया कि माता के स्थान पर आप मनोकामना मांग सकते हैं आपकी मांग पूरी होगी हैं। बंजारों ने कहा कि हमें नहीं पता कि यहां माता का स्थान कहां पर है। लड़की ने एक पत्थर फैंक। जहां पत्थर फैंका था वहां बंजारों ने माता की पूजा की। कुछ समय के बाद गुमे हुए पशु मिल गए। मनोकामना पूरी होने पर बंजारों ने मंदिर बनवाया था।

सलकनपुर वाली मैया के दर्शन करने का समय
सलकनपुर मंदिर कुछ दशकों में विजयासन माता के भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया है। मंदिर सुबह 6 बजे से रात के 10 बजे तक खुला रहता है। नवरात्रि में मंदिर रात 12 से 3 बजे तक बंद रहता है, शेष समय भक्तों के लिए खुला रहता है। नवरात्रि में यहां हजारों भक्त मां के दर्शन-पूजन करने पहुंचते हैं। एक अनुमान है कि नवरात्रि के दौरान विभिन्न माध्यमों से 24 घंटे में यहां 50 हजार से एक लाख तक भक्त पहुंच जाते हैं, इसमें पदयात्री भी होते हैं जो होशंगाबाद, हरदा, बैतूल और नरसिंहपुर जिलों के अलावा अन्य जिलों से भी आते हैं।

मंदिर आने और आसपास घूमने का समय
वैसे तो सलकनपुर में मां के दर्शन करने आने वाले सालभर यहां आते हैं। लेकिन, सबसे मुफीद समय सर्दियों का ही है, जब आप बिना थके सीढिय़ों से भी पहुंच जाते हैं। अक्टूबर से मार्च तक के महीने सलकनपुर यात्रा के लिए सबसे बेहतर हैं। अगर आप सलकनपुर वाली मैया के मंदिर तक की यात्रा पैदल सीढिय़ों से जाना चाहते हैं तो आपको ग्रीष्मकाल में यात्रा करने से बचना होगा। यहां साल में दो बार मनाये जाने वाले नवरात्रि के समय भक्तों की भीड़ काफी ज्यादा होती है। मंदिर में पंचमी, अष्टमी और नवमी के दिन सबसे अधिक भीड़ देखी जाती है।

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