– डॉ हंसा व्यास : अब दुखने लगी है ऊंगलियाँ
ओम शान्ति लिख – लिख कर।
अब सूखने से लगे हैं आंसू
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दे-दे कर।
अब नजरे कंपकंपाने लगी है
शमशान के नजारे देख – देख कर।
अब उल्टी-सीधी गिनती भी याद नहीं रही
मुर्दों की कतारें देखकर।
अब जी सा घबराने लगा है
जिंदगी की जिजीविषा देखकर।
न ऑक्सीजन है, न दवाई
न अस्पताल है, न वेंटिलेटर।
जीवन को सांस लेने की
न जगह है न फुर्सत।
जिंदगी को ठहर कर
दो पल मुस्कुराने का भी समय नहीं।
है कृष्ण कहां हो तुम,
अब सब कुछ श्री कृष्ण शरणम हो गया।
न कोई मोक्ष की परिभाषा बची
न मुक्ति का कोई धाम।
अब तो फुटपाथ ही मरघट बनता जा रहा है
रास्ते वीरान होते जा रहे हैं
श्मशानों की रोनक बढ़ती जा रही है।
हे कृष्ण, क्या अब कभी नहीं सुनाओगे
मुरली की वो तान
जिसमें गुनगुनाता है जीवन।
डॉ हंसा व्यास
सदर बाजार होशंगाबाद
9425366286