- श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में श्री रामेश्वर ज्योर्तिलिंग पूजन अभिषेक
इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में द्वादश पार्थिव ज्योर्तिलिंग का पूजन, अभिषेक एवं एक लाख रूद्रि निर्माण चल रहा है। जिसके तहत गुरूवार को रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक मुख्य यजमान प्रवीण रानी अग्रवाल, सुनील किरण दुबे (शिक्षक), सुरेन्द्र सिंह राजपूत एवं श्रीमती वीणा राजपूत ने किया।
पं. विनोद ने कहा कि अनादि काल से सृष्टि चली आ रही है। जिस शून्य की विज्ञान बात करता है अथवा दुनिया जिस शून्य पर नये नये शोध करती है वहीं शून्य शिव है। लेकिन शिव की कल्पना राम के बिना अधूरी है। इस बात का प्रमाण श्री रामेश्वर समुद्र तट पर स्थापित रामेश्वर ज्योर्तिलिंग है। उन्होंने कहा कि श्री रामेश्वर ज्योर्तिलिंग के बारे में प्रमाणित तथ्य है और किवंदती नहीं है प्रभु श्रीराम माता सीता की खोज प्रमाणित हो जाने के पश्चात जब लंका की और कूच करते है जब समुद्र तट पर उन्हें प्यास लगती है। अपनी प्यास बुझाने के लिए पहले वे शिवजी की पूजन करते है और अभिषेक। लिंग धापि विधिवत करि पूजा शिव समान प्रिय मोहि न दूजा।। लंका के लिए समुद्र लांधने के लिए नल नील द्वारा बनाये जाने वाले पुल के निर्माण के समय भगवान राम ने शिव पूजन किया और कहा कि शिव के समान उन्हें कोई प्रिय नहीं है। तब से अब तक श्री रामेश्वरम में समुद्र तट पर शिव पूजन और अभिषेक होता हैं दुनिया के कई देशों के पर्यटक यहा आते है।
पं. विनोद दुबे ने कहा कि रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग के संबंध में कहा जाता है कि यहां आने पर चारों तीर्थो का फल प्राप्त होता है। रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग मंदिर विश्व में वास्तुशिल्प का अदभुत नमूना है। रेता के द्वीप पर बने इस मंदिर की कारीगरी अच्छो अच्छो को प्रभावित कर देती है। चारों ओर से मंदिर बहुत विशाल है। पं. विनोद दुबे ने कहा कि कारीगरी का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर के चारों ओर की दीवार 650 फीट चौड़ी और 25 फीट ऊँची है। यहां के पत्थर से बनी नंदी ओर हाथी की मूर्तिया प्रभावकारी है। काशी का गंगाजल रामेश्वरम में चढ़ाया जाता है। रामेश्वरम ने धनुष कोटि सेतु माध्व में स्नान करके वहां का जल प्रयाग के वेणी माधव के पास त्रिवेणी स्नान संगम पर चढ़ाया जाता है जिससे चारों धाम की यात्राओं का फल मिलता है। पं. सत्येन्द्र पांडे, पं. पीयूष पांडे द्वारा रामेश्वर पूजन और अभिषेक कराया।