मारवाड़ी समाज की महिलाओं द्वारा गणगौर माता को दी विदाई

Post by: Rohit Nage

सिवनी मालवा। गणगौर उत्सव होली के दिन से शुरू हो जाता है एवं शील सप्तमी के दिन पाती खेलने के लिए विभिन्न स्थानों पर महिलाएं जाती हैं। वहां महिलाओं द्वारा प्रतिदिन अलग-अलग की ओर से पार्टी दी जाती है प्रतिदिन गणगौर माता के झाले वाने लिए जाते हैं, गीत गाए जाते हैं एवं गणगौर माता को गाजे-बाजे के साथ लाया जाता है। सुहागिन महिलाओं के द्वारा अपने पति की लंबी आयु की कामना एवं अविवाहित युवतियों द्वारा योग वर पाने के लिए 16 दिवसीय गणगौर पर्व मनाया जाता है।

शुक्रवार सुबह महिलाओं लड़कियों ने सज-धज कर पूर्ण श्रद्धा भक्ति के साथ गोर गोर गोमती ईसर पूजे पार्वती के गीत गाते हुए पूजा अर्चना की और साथ में कुमकुम हल्दी मेहंदी के टीके देकर समापन किया शाम 4:30 बजे सीताराम मंदिर से बैंड बाजों के साथ धूमधाम से श्रद्धा पूर्वक ईसर गौरा की प्रतिमा को दूल्हा दुल्हन के रूप में सजाकर मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने अपने सिर पर रखकर नगर के मुख्य मार्ग से नाचते गाते हुए शोभायात्रा निकाली।

शोभा यात्रा सीताराम मंदिर से शुरू होकर मुख्य मार्ग, कल्लू चौक, नर्मदा मंदिर चौक, गांधी चौक, जय स्तंभ चौक, लोहिया पुल, राम जानकी मंदिर होते हुए तालाब पहुंची। नगर में जगह-जगह गणगौर माता का स्वागत किया। मारवाड़ी समाज की महिला एवं युवतियों ने झाले वाने के साथ अपने अपने पति का नाम लेकर पानी पिलाकर गले मिलकर ईसर गौरा को विदाई दी। शोभायात्रा में माहेश्वरी समाज, अग्रवाल समाज, ब्राह्मण समाज, जैन समाज सहित सकल मारवाड़ी समाज की युवती एवं बच्चे बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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