इटारसी। गर्मी बढऩे के साथ ही शहर के कुछ क्षेत्रों में पानी पाताल की ओर रुख कर चुका है, यहां पानी के लिए मारामारी होने के आसार दिख रहे हैं, हालांकि नगर पालिका (Municipality) का जल विभाग यहां टैंकर भेजकर लोगों की प्यास बुझाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन ये प्यास बड़ी है और प्रयास छोटे। आधा दर्जन से अधिक हिस्सों में वहां जलसंकट (Water crisis) की स्थिति बनने लगी है, जहां ट्यूबवेल (Tubewell) से जलप्रदाय होता है।
इस वक्त मेहराघाट जल संयंत्र (Mehraghat Water Plant) से शहर की पानी की जरूरत का बड़ा हिस्सा सप्लाई हो रहा है, इसके बाद धौंखेड़ा (Dhonkheda) से। आज भी नगर के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां मेहराघाट जल आवर्धन योजना की पाइप लाइन नहीं जुड़ी है, वहां स्थानीय स्तर पर नलकूपों से पानी दिया जा रहा है। लेकिन, इनमें पानी रीतने की स्थिति में पहुंच गया है, क्योंकि ये भी अब हांफने लगे हैं। उम्रदराज हो चुके इन नलकूपों से जहां 5-6 घंटे पानी उलीचा जाता था, अब महज एक से डेढ़ घंटे ही सेवा दे पा रहे हैं, फिर हांफने लगते हैं।
इन क्षेत्रों में बने खराब हालात
जलसंकट ज्यादातर पुराने शहर के हिस्सों में है। ये वे क्षेत्र हैं, जो अभी सूखा सरोवर की टंकी से नहीं जुड़ सके हैं और इनको जोडऩे की प्रक्रिया चल रही है। यहां अब तक नलकूप के भरोसे ही पेयजल की आपूर्ति की जाती है। ये नलकूप का पानी अब पाताल की ओर खिसक रहा है, जाहिर है, संकट की स्थिति बन रही है। जहां हालात बिगडऩे की स्थिति बन रही है, वे क्षेत्र हैं महर्षि नगर कालोनी (Maharishi Nagar Colony), पुरानी इटारसी (Old Itarsi) का वार्ड क्रमांक 2 और 5 का जमानी रोड तरफ का अंतिम छोर का हिस्सा, नरेन्द्र नगर (Narendra Nagar) और चैतन्य नगर (Chaitanya Nagar) यानी वार्ड 33 और 34 में, सनखेड़ा नाका का कुछ क्षेत्र।
मेहराघाट में आया पानी
कुछ दिन पूर्व मेहराघाट से पानी की मात्रा गर्मी में नदी का पश्चिमी हिस्सा सूख जाने से कम हो गयी थी। पोकलेन मशीन (Poklane Machine) से एक नहर बनाकर इंटेकवेल (Intakewell) तक पानी लाया गया और अब पुन: हालात सुधर रहे हैं। पहले मेहराघाट से चार घंटे पानी लेकर, चार घंटे बंद रखना पड़ रहा था। लेकिन, अब पानी की मात्रा बढ़ जाने से लगातार छह से सात घंटे पानी लेकर पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा धौंखेड़ा के नलकूपों से नगर की आबादी की प्यास बुझाई जा रही है। यदि गर्मी में कमी नहीं आयी और जलस्तर और नीचे गया तो हालात और अधिक बिगड़ सकते हैं। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि कुछ दिन बाद बारिश प्रारंभ हो, और जलस्तर में सुधार होने लगे ताकि संकट की स्थिति से पूर्व हालात सुधर जाएं। वैसे अभी मई के दस दिन और जून का आधा माह मानसून आने में है, ऐसे में क्या स्थिति बनेगी, सोचकर भी चिंता होने लगी है।
स्टेशन पर भी बढ़ी पानी की मांग
गर्मी बढऩे के साथ ही रेलवे स्टेशन (Railway Station) पर भी पानी की मांग बढ़ी है। ग्रीष्मकालीन रेलों और छुट्टियों में घर लौटते यात्रियों की बढ़ी संख्या के सामने रेलवे की जल व्यवस्था लडख़ड़ा गयी है। रेलवे (Railway) ने इस वर्ष प्रयास करके कुछ सामाजिक संस्थाओं से भी प्लेटफार्म पर मटके रखवाये थे, लेकिन ये सारी व्यवस्थाएं पानी की मांग के आगे बौनी साबित हो रही हैंं। प्लेटफार्म पर ट्रेन रुकते ही सैंकड़ों यात्री एकसाथ प्लेटफार्म (Platform) पर बोतल हाथ में लिया पानी के नलों, वाटरकूलर(Watercooler), मटकों, वाटर वेंडिंग मशीनों (Water Vending Machines) की तरफ दौड़ते हैं, नलों के आगे हाथ में बोतलें लिए यात्रियों की लाइनें लग रही हैं।
इनका कहना है…
नगर के कुछ हिस्सों में, जहां नलकूप से पानी दिया जाता है, जलस्तर नीचे चले जाने से नलकूप में पानी कम हो गया है। इन क्षेत्रों में टैंकरों के माध्यम से पानी दिया जा रहा है। मेहराघाट और धौंखेड़ा से भी जल आपूर्ति हो रही है।
आदित्य पांडेय, प्रभारी जलकार्य विभाग