दिल्ली। बीते गत दिनों जनजागरण मंच की ओर से दिल्ली प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस वार्ता का आयोजन की गई। प्रेस वार्ता में पीड़ित पक्ष के सीनियर वकील धर्मेंद कुमार मिश्रा,नीरज देसवाल, जन जागरण मंच के प्रवक्ता कोमल मल्होत्रा, राष्ट निर्माण के अध्यक्ष रागिनी तिवारी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि एक नाबालिग बच्ची की वीडियो को तोड़-मरोडक़र प्रसारित करने के मामले में बीते गत 6 जून को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शशि चौहान की अदालत में सुनवाई हुई।
इस मामले के 8 में से 7 आरोपी दीपक चौरसिया,अजीत अंजुम, चित्रा त्रिपाठी, राशिद, ललित सिंह, सुनील दत्त, अभिनव राज (Deepak Chaurasia, Ajit Anjum, Chitra Tripathi, Rashid, Lalit Singh, Sunil Dutt, Abhinav Raj) अदालत में पेश हुए। इन सभी आरोपियों को चार्जशीट की प्रतियां भी उपलब्ध कराई गई। एक आरोपी वर्तमान में रिपब्लिक टीवी के सीनियर ऐंकर सैयद सोहेल (Anchor Syed Sohail) जो अदालत में पेश नही हुए। जिस पर अदालत ने सैयद सोहेल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए आदेश दिया कि वह आगामी 20 जुलाई को अदालत में पेश हों।
साथ ही न्यायालय से झूठ बोलकर गुमराह किये जाने के आशय से गलत बयान दिए जाने को लेकर पीडित पक्ष द्वारा दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने नोटिस भी जारी किया है, दरअसल गत 7 जून को सैयद सोहेल को न्यायालय में पेश होना था लेकिन मोहम्मद सैयद सोहेल ने न्यायालय में पेश न होकर अपने वकील के माध्यम से एक अर्जी के माध्यम से बीमारी का हवाला देकर अगली तारीख में पेश होने का वक़्त मांगा था, जिसपर न्यायालय में आरोपी सैयद शोहेल को अगली तारीख में पेश होने का वक्त दिया।
पीड़ित पक्ष के वकील ने मोहम्मद सोहेल के विरूद्ध झुठ बोलकर न्यायालय को ग़ुमराह किये जाने को लेकर दायर याचिका के माध्यम से कार्यवाही की मांग की गई थी, याचिका में पीड़ित पक्ष के वकील ने यह आरोप लगाया है कि सैयद सोहेल 6-7-8 मई को लाइव कार्यक्रम में देखा गया जिसकी फुटेज भी न्यायालय को दी गयी है। साथ ही पीडि़ता पक्ष के अधिवक्ता धर्मेन्द्र कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मामले में नामित अन्य व्यक्तियों को आरोपी न बनाने का मामला भी अदालत में उठाया। इतना ही नही अदालत ने आरोप पत्र दाखिल करनेवाले अनुसंधान अधिकारी को नोटिस भी जारी किया और अगली सुनवाई जो कि 20 जुलाई को होनी है,उस पर उपस्थित होने का आदेश भी दिया।
इस मामले की पैरवी कर रहे जन जागरण मंच (
Jan Jagran Manch, New Dehli) के प्रवक्ता कोमल मल्होत्रा ने कहा कि अब कुछ उम्मीद बंधी है कि पीडि़ता को अदालत से न्याय मिल सकेगा।
क्या है मामला
गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू (Sant Asaram Bapu) आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आसाराम प्रकरण के बाद न्यूज़ 24 ,न्यूज़ नेशन, इंडिया न्यूज टीवी (News 24, News Nation, India News TV) चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोडक़र अश्लील अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था।
साथ ही पीड़िता व उनके परिवार को दलाल, लड़की सप्लायर बताकर साथ ही उनके घर को गुफा कांड,अश्लीलता का अड्डा बताकर पेश किया था। जिससे परिवार व मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ा था। आहत होकर परिजनों ने पालम विहार पुलिस थाना में 2013 में ज़ीरो FIR दर्ज कराई थी। ज़ीरो एफआईआर से पूर्ण एफआईआर दर्ज होने में दो वर्ष लग गए। उसके बाद भी पुलिस द्वारा 2 साल तक कार्यवाही नही कर मामले को बंद कर दिया गया था।
लेकिन जब यह मामला हाइकोर्ट पहुँचा और हाइकोर्ट ने संज्ञान लेकर अपनी निगरानी रखते हुए पुलिस को आदेशित किया तो मजबूरन पुलिस को कार्यवाही हेतु बाध्य होना पड़ा। जिसके बाद दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी, अजित अंजुम, अभिनव राज, सुनील दत्त, ललित सिंह आदि के विरुद्ध 2020- 21 में दाखिल की गई चार्जशीट में विभिन्न धाराओं 120b, 469, 471,आईटी एक्ट 67 b, पोक्सों एक्ट 13c, 14(1) 180 के तहत 10 साल की बच्ची और उनके परिवार के ‘संपादित’ व ‘अश्लील’ वीडियो दिखाने और उन्हें आसाराम बापू के यौन उत्पीड़न मामले से जोड़ने के लिए नामित किया गया।
वर्तमान में मामला न्यायालय में हैं आगे जो भी होगा वह न्यायालय तय करेगी, लेकिन 9 साल बाद अब पीड़िता परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है।
प्रेस वार्ता में प्रतिनिधियों से सवाल पूछे जाने पर पैरवी करने वाली संस्था जन जागरण मंच की ओर से स मामले की विस्तृत जानकारी जो मिली है वे गौर करने योग्य है…
दिसंबर 2013:
गुरुग्राम के थाने में जीरो प्राथमिकी दर्ज। शिकायतकर्ता ने आसाराम बापू की विशेषता वाले वीडियो में एक नाबालिग लड़की और महिलाओं के “अश्लील” चित्रण का आरोप लगाया। तीन समाचार चैनलों पर ‘संपादित’ वीडियो प्रसारित करने का आरोप।
अगस्त-2014:
जीरो एफआईआर नोएडा पुलिस को ट्रांसफर कर दी गई है। दीपक चौरसिया और अन्य ने जीरो एफआईआर को रद्द करने के लिए इलाहाबाद HC का रुख किया। कोई राहत नहीं ।
मार्च 2015:
गुरुग्राम थाना पुलिस ने जीरो एफआईआर को एफआइआर में बदला आईपीसी की धारा 469 471 और 120बी के तहत आरोप दायर; POCSO अधिनियम की धारा 13C; और आईटी अधिनियम की धारा 67B
नवंबर 2017:
पहली एसआईटी ने मामले को बंद करने की सिफारिश की क्योंकि आरोपी का पता नहीं लगाया या पहचाना नहीं जा सका।
जनवरी 2018:
एसआईटी का पुनर्गठन किया गया है। इसका नेतृत्व गुरुग्राम वेस्ट डीसीपी दीपक सहारन कर रहे हैं। मामले की दोबारा जांच की जा रही है
अप्रैल 2018
दायर की गई दूसरी अप्राप्य रिपोर्ट, स्थानीय अदालत द्वारा स्वीकार्य है। पुलिस का कहना है कि वीडियो की फोरेंसिक जांच “अनिर्णायक” है क्योंकि कॉम्पैक्ट डिस्क “आंशिक रूप से टूटा और फूटा हुआ” था।
जून 2019:
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद, तीसरी एसआईटी का गठन किया गया है। कॉम्पैक्ट डिस्क की दो फोरेंसिक जांच से पता चलता है कि दो समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित वीडियो को “संपादित” किया गया था।
जनवरी 2020:
पहली चार्जशीट दाखिल दीपक चौरसिया को छोड़कर सात पत्रकार। पोक्सो एक्ट की धारा 14(1) और 23 को जोड़ा गया ।
मार्च 2021:
चौथी एसआईटी, गुरुग्राम पश्चिम डीसीपी दीपक सहारन, चौरसिया के खिलाफ पूरक आरोप पत्र प्रस्तुत करती है। पुलिस ने पोक्सो एक्ट की धारा 13सी और 14(1) को वापस लिया। चौरसिया को अब भी एक्ट की धारा 23 का सामना करना पड़ रहा है। सभी आरोपी गुरुग्राम पोक्सो कोर्ट के सामने पेश होते हैं जो एचसी की देखरेख में मामले की सुनवाई कर रही है। जल्द शुरू होगा ट्रायल ।