इटारसी। रबी की फसल कटाई के बाद खेतों में शेष बचे अवशेष (नरवाई) के उचित प्रबंधन को लेकर प्रशासन गंभीर हो गया है। विगत वर्ष ग्राम पांजराकलॉ में आगजनी की घटना ने आठ जानें ले ली हैं। यदि उस घटना से किसानों ने कोई सबक लिया हो तो, ठीक अन्यथा इस बार प्रशासन को ईमानदारी से सख्ती दिखानी होगी।
हर वर्ष की तरह प्रशासन ने रबी फसल कटाई के बाद खेतों में बचने वाले अवशेष, जिसे स्थानीय बोली में नरवाई कहा जाता है, जलाने से रोकने योजना बनाना शुरु कर दिया है। कलेक्टर की अध्यक्षता में कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ एक कार्यशाला भी हो चुकी है। पिछले दिनों इटारसी में लगे जैविक बाजार में आए डिप्टी डायरेक्टर कृषि जितेन्द्र सिंह ने किसानों से इस विषय में बात करके सुझाव और सहयोग मांगा था।
जिला स्तरीय कार्यशाला हुई
नरवाई जलाने की प्रवृत्ति को रोकने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जागरूक करने कृषि विभाग का मैदानी अमला हर स्तर पर कार्यवाही करे। यह निर्देश कलेक्टर धनंजय सिंह ने कलेक्टर कार्यालय सभाकक्ष में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जिला स्तरीय कार्यशाला में दिये। उप संचालक कृषि श्री सिंह ने बताया कि गेहूं फसल की नरवाई जलाने से जहां एक ओर जनधन की हानि होती है, वहीं दूसरी ओर फसल अवशेष का उचित प्रबंध न होने के कारण मृदा उर्वरता में भी भारी गिरावट आती है। फसल कटाई हेतु कम्बाईन हार्वेस्टर मैनेजमेंट सिस्टम के साथ फसल कटाई कराना सुनिश्चित करें, साथ ही अग्निशामक यंत्र भी साथ रखें। भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र परिषद नई दिल्ली द्वारा विकसित पूसा डी-कंपोजर कैप्सूल का उपयोग कराकर फसल अवशेष को मिट्टी में गलाकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ायेंगे एवं नरवाई जलने से बचायेंगे।
हार्वेस्टर, भूसा रीपर का पंजीयन करें
सभी एसडीएम और तहसीलदारों को निर्देश हैं कि गेहूं कटाई हेतु हार्वेस्टर एवं भूसा रीपर कार्य करन ब्लाक में गेहूं फसल कटाई कार्य करने आती हंै उनका पंजीयन तहसील, थाना में अनिवार्य कराया जाए। यह भी निर्देश हैं कि जितने भी पुराने हार्वेस्टर हैं, उनमें एचएमएस सिस्टम लगा हो। यदि नहीं है तो भूसा रीपर साथ में अनिवार्यत: रखें। ब्लाक स्तर पर कृषि, सहकारिता, आत्मा, पंचायत, मंडी, राजस्व विभाग के माध्यम से बैठक कर कृषकों को जागरूक करें, पम्पलेट वितरण करें। इन प्रयासों के बाद भी यदि कोई किसान जानबूझकर नरवाई में आग लगाता है, तो ऐसे किसानों के विरूद्ध नियमानुसार कठोर दंडात्मक कार्यवाही करना भी सुनिश्चित किया जाए। बिजली विभाग को निर्देश हैं कि खेतों के ऊपर झूलते बिजली के तारों की मरम्मत करायें। सभी जिला एवं खंड स्तरीय अधिकारियों को नरवाई न जलाने हेतु एक-एक ग्राम पंचायत गोद लेने के निर्देश दिए।
ये किये जा सकते हैं उपाय
किसान और जिला पंचायत सदस्य विजय चौधरी बाबू का कहना है कि वे प्रशासन को अपने सुझाव दे चुके हैं। प्रशासन तो इसके लिए गंभीर है, किसानों को भी मानवीय दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। अपनी फसल कट जाने के बाद अक्सर किसान निश्चित हो जाता है, जबकि किसी भी आपात स्थिति में सामूहिक जिम्मेदारी होना चाहिए। प्रशासन को कारण और निदान दोनों खोजने के लिए काम करना होगा। जवाबदारी तय करनी होगी। एक-एक व्यक्ति को गांव गोद देकर उसकी जिम्मेदारी तय होगी तो इस तरह की घटनाओं में कमी आएगी। गांवों में चौपाल पर चर्चा करके लोगों को जागरुक करने के प्रयास करने होंगे। बिजली विभाग को अभी से खेतों में लटकते तार को दुरुस्त करने का काम करना होगा तो प्रशासन भूसा मशीन को लेकर दिशा निर्देश तैयार करे। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह अभी से योजनाबद्ध काम प्रारंभ करे और किसानों को जागरुक करे।
इधर भी डालना होगा नजरें
– सरकारी गोहा पर हुए अतिक्रमण हटाने होंगे
– नहरों के साइड में हुए कब्जे भी हटाने होंगे
– ग्राम रक्षा समितियों को एक्टिव करना होगा
– पंचायतों के टैंकरों में फायर सिस्टम लगाएं
– किसानों को आग बुझाने की ट्रेनिंग दिलाएं
प्रशासन के ये हैं निर्णय
– हार्वेस्टर में एक्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम लगाना होगा या भूसा मशीन साथ रखना होगा
– कोई भी हार्वेस्टर, भूसा मशीन चलाएंगे तो तहसील या थाने में पंजीयन करना होगा
– कृषि विभाग ब्लाक स्तर पर किसानों को जागरुक करने कार्यशाला आयोजित करेगा
– जिला, ब्लाक अधिकारी 1-1 ग्राम पंचायत गोद लेकर किसानों को जागरुक करेंगे
इनका कहना है…!
जिला स्तर पर कार्यशाला हो चुकी है, अब ब्लाक स्तर पर भी कार्यशाला करके किसानों को जागरुक किया जाएगा। किसानों को पूसा द्वारा निर्मित कैप्सूल की जानकारी दी जा रही है, यह काफी सस्ता है। सौ रुपए में पांच एकड़ के खेत की नरवाई दस दिन में पूरी तरह से खाद में बदल सकती है। एक-एक अधिकारी एक-एक ग्राम पंचायत को गोद लेकर जागरुकता का काम करेंगे। इसके बाद भी कोई नहीं माना तो कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
जितेन्द्र सिंह, उपसंचालक कृषि