आईपीएस अफसर बनने का सपना
इटारसी। पथरोटा की सविता चौरे ने बिना कोचिंग के सफलता हासिल की है। सविता ने बारहवी की परीक्षा में होम साइंस विषय से जिले में टॉप किया है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। पिता द्वारका प्रसाद चौरे पॉवरग्रिड में मजदूरी करते हैं। मकान कच्चा है, संयुक्त परिवार है तो सदस्य भी ज्यादा हैं। मंदिर के पास ही घर होने के कारण कभी-कभी धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान होने वाले भजन आदि ने भी कभी उसे विचलित नहीं किया। जब कभी शोरगुल का माहौल होता था तो सविता बाड़े में जाकर अपनी पढ़ाई करती थी। सिलाई-कढ़ाई का शौक था, बड़ी बहन पूजा के कहने पर होम साइंस लिया। बहन कविता ने घर का कामकाज नहीं करने दिया, वह काम करती और सविता को पढऩे के लिए प्रेरित करती थी। घर में एंड्राइड मोबाइल नहीं है, पिता ने आज किसी नेट कैफे में जाकर रिजल्ट देखा और दोपहर 12:30 बजे सविता को अपना परीक्षा परिणाम जानने को मिला। इसके बाद स्कूल के प्राचार्य का फोन आया। सविता को उसकी मां उर्मिला ने काफी सपोर्ट किया। उसे 80 प्रतिशत तक अंक की उम्मीद थी, जिले में टॉप का तो विचार भी नहीं था। आगे इंदौर में पढ़ाई पूरी कर फैशन डिजाइनिंग में कॅरियर बनाने की इच्छा है। मां छटवी और पापा आठवी तक पढ़े हैं, लेकिन अपने बच्चों को खूब पढ़ाना चाहते हैं, चाहे इसके लिए उनको काम करके शरीर को थका देना ही क्यों न पड़े।
आईपीएस अफसर बनने का सपना
ग्राम जुझारपुर की रागिनी को उम्मीद से कुछ कम अंक मिले हैं। रागिनी ने जिले की प्रावीण्य सूची में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। रागिनी के पिता महेन्द्र पटेल किसान हैं और महज तीन एकड़ भूमि है, उनके पास। दो भाई-बहन हैं। परिवार की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है। रागनी को गणित में 99 अंक मिले हैं। रागनी ने परीक्षा की तैयारी में काफी मेहनत की है। वह सुबह 7 बजे सायकिल से इटारसी कोचिंग के लिए आती थी। वह घर में काम भी उतना ही करती थी और पढ़ाई भी खूब लगन से करती थी। आज जब परीक्षा परिणाम आया तो उसके भौतिक विषय के शिक्षक नवीन चौरे ने उसे फोन पर यह खुशखबरी दी। उसे हालांकि 95 फीसदी अंक की उम्मीद थी, कुछ कम अंक आए हैं। बावजूद इसके वह खुश है। रागनी आगे इंदौर जाकर बीएससी की पढ़ाई करना चाहती है, साथ ही यूपीएसपी की तैयारी करेगी और आईपीएस अफसर बनने का अपना सपना पूरा करेगी। उसे अपने माता-पिता का भरपूर सहयोग मिल रहा है। जब कभी परीक्षा के वक्त वह बीमार होती थी तो मां सुरेखा पटेल उसको तुरंत उपचार दिलाने में लग जाती थी, बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखना, जल्द से जल्द डाक्टर को दिखाना और अन्य तरीके अपनाए जाते थे ताकि वह जल्द ठीक हो और अपनी पढ़ाई को जारी रखे। इस तरह से उसे परिवार का सहयोग मिला और वह जिले की मैरिट लिस्ट में स्थान बना पायी।