– अदिति टंडन, आगरा
खत्म हो सिलसिला , तेरे इंतज़ार का ।
रहने दे कुछ तो मजा, अपने करार का।।
लिखा है मैंने, आज ही, एक खत तुझे
कुछ इस तरह, कर के इजहार का ,
मुंतजिर हूं मैं, अब भी यहां पर
एक तेरी हां, एक तेरे इकरार का ,
ख्वाहिश है, इतनी सी, या रब मेरी
दे मुझे भी वो, नज़राना प्यार का ,
एहसास-ए-मोहब्बत है, धड़कनों में तेरी
मक़सद जीने का हो, खुदा के दीदार का ।
अदिति टंडन, आगरा