गज़ल : खत्म हो सिलसिला , तेरे इंतज़ार का 

गज़ल : खत्म हो सिलसिला , तेरे इंतज़ार का 

– अदिति टंडन, आगरा

खत्म हो सिलसिला , तेरे इंतज़ार का ।
रहने दे कुछ तो मजा, अपने करार का।।

लिखा है मैंने, आज ही, एक खत तुझे
कुछ इस तरह, कर के इजहार का ,

मुंतजिर हूं मैं, अब भी यहां पर
एक तेरी हां, एक तेरे इकरार का ,

ख्वाहिश है, इतनी सी, या रब मेरी
दे मुझे भी वो, नज़राना प्यार का ,

एहसास-ए-मोहब्बत है, धड़कनों में तेरी
मक़सद जीने का हो, खुदा के दीदार का ।

Aditi tandan

अदिति टंडन, आगरा

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