इटारसी। करीब तीन साल पहले हुए शहबाज़ हत्याकांड का फैसला आ गया है। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती प्रीति सिंह की अदालत ने मामले में चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा तथा अर्थदंड से दंडित किया है। सन् 2015 में नाला मोहल्ला निवासी शहबाज़ की लाश न्यास कालोनी बायपास पर बोरे और प्रिंटेड चादर में लिपटी हुई मिली थी। तत्कालीन टीआई महेन्द्र सिंह चौहान को मुखबिर से सूचना मिली थी, जिस पर अनुसंधान के बाद चार आरोपियों पर प्रकरण पंजीबद्ध कर कोर्ट में पेश किया था।
आज कोर्ट ने आरोपी नीलेश सिंह ठाकुर पिता रामनरेश सिंह भदौरिया 19 वर्ष, निवासी नूरानी मस्जिद के पास नाला मोहल्ला इटारसी, जावेद खान उर्फ गोलू पिता नूर खां 19 वर्ष, निवासी आवाम कालोनी डायवर्सन रोड पीपल मोहल्ला इटारसी, राहुल सिंह पिता राजेन्द्र सिंह ठाकुर 19 वर्ष, निवासी नूरानी मस्जिद के पास नाला मोहल्ला इटारसी और मोहन सिंह ठाकुर उर्फ चिमढ़ा पिता पप्पू सिंह ठाकुर 19 वर्ष, निवासी ग्राम कनावर, तहसील उमरी, थाना उमरी जिला भिंड, हाल निवासी नूरानी मस्जिद के पास नाला मोहल्ला इटारसी को आजीवन कारवास के अलावा अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने की सूरत में अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला ने पैरवी की है।
ये थी अभियोजन की कहानी
तत्कालीन टीआई महेन्द्र सिंह चौहान को 19 सितंबर 2015 को फोन से मुखबिर के माध्यम से सूचना मिली थी कि न्यास कालोनी, साईं की बगिया के सामने एक प्रिंटेड चादर में एक शव पड़ा है जिसका सिर से कमर तक आधा हिस्सा बोरे में भरा हुआ है। मौके पर पुलिस टीम ने जाकर देखा और बोरे से शव निकाला तो करीब 25-30 वर्षीय युवक का शव था जिसके पसली, पीठ, रीढ़ की हड्डी, बायीं भुजा तथा होंठ के दाहिने तरफ, जबड़े से गर्दन के पीछे, दाहिने कान के पास चोट के निशान थे तथा सिर फटा और भेजा बाहर निकला था।
नानी ने की थी शिनाख्त
शव की पहचान शहबाज़ के रूप में हुई थी और उसकी नानी फिरोजा ने कपड़े, ताबीज और गले में पड़े धागों से उसकी शिनाख्त की थी। फिरोजा ने ही पुलिस को आरोपियों के नाम बताकर कहा था कि रात को शहबाज को ये लोग ही घर से बुलाकर ले गए थे। शहबाज पानी पीकर घर से निकला था। शहबाज़ हिस्ट्रीसीटर था और पुलिस रिकार्ड में उस पर हत्या के दो मामले दर्ज थे। जिस वक्त उसका शव मिला, वह जमानत पर जेल से आया हुआ था। शहबाज पिता रियाज़ खान 19 वर्ष अपनी नानी फिरोज़ा बेगम के साथ नाला मोहल्ला में रहता था। उसकी नानी फिरोजा और मामा फखरूद्दीन ने शव के कपड़ों और लाकेट के आधार पर उसकी शिनाख्त की थी। शाहवाज ने 31 मार्च 2013 में एक हत्या की थी और दूसरी हत्या 20 सितंबर 2014 को की थी। उसकी नानी ने पुलिस को बताया था कि वह कई दिन घर नहीं आता था। वह कभी स्टेशन पर अवैध वेंडरी करने लगता था तो कभी किसी काम से कहीं चला जाता था। इस कारण उसकी गुमशुदगी नहीं दर्ज करायी थी। वह गुरुवार 17 सितंबर की रात से लापता था और शनिवार 19 सितंबर 15 को उसका शव मिला।
आरोपियों को मिली ये सज़ा
नीलेश सिंह ठाकुर पिता रामनरेश सिंह भदौरिया को धारा 302 में आजीवन कारावास, एक हजार अर्थदंड और अर्थदंड न देने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास, धारा 201 में 7 वर्ष का सश्रम कारावास, तीन सौ रुपए अर्थदंड एवं अर्थदंड न देने पर चार माह का अतिरिक्त कारावास, धारा 25 आयुध अधिनियम में एक वर्ष का सश्रम कारावास, सौ रुपए अर्थदंड, दो माह का अतिरिक्त कारावास, धारा 27 आयुध अधिनियम में सात वर्ष का सश्रम कारावास, सौ रुपए अर्थदंड, दो माह अतिरिक्त कारावास।
जावेद खान उर्फ गोलू पिता नूर खां को धारा 302 में आजीवन कारावास, एक हजार अर्थदंड और अदा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास, धारा 201 में सात वर्ष का सश्रम कारावास, तीन सौ रुपए तथा अर्थदंड न देने पर चार माह का कारावास।
राहुल सिंह पिता राजेन्द्र सिंह ठाकुर को धारा 302 में आजीवन कारावास, एक हजार अर्थदंड एवं अर्थदंड न देने पर छह माह अतिरिक्त कारावास, धारा 201 में सात वर्ष का सश्रम कारावास, तीन सौ रुपए अर्थदंड और अर्थदंड न देने पर चार माह अतिरिक्त, धारा 25 आम्र्स एक्ट में एक वर्ष सश्रम कारावास, सौ रुपए अर्थदंड तथा दो माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास, धारा 27 में सात वर्ष का सश्रम कारावास, सौ रुपए अर्थदंड और दो माह अतिरिक्त कारावास तथा मोहन सिंह ठाकुर उर्फ चिमढ़ा पिता पप्पू सिंह ठाकुर को धारा 302 में आजीवन कारावास, एक हजार अर्थदंड एवं अर्थदंड न देने पर छह माह अतिरिक्त कारावास, धारा 201 में सात वर्ष का सश्रम कारावास, तीन सौ रुपए अर्थदंड और अर्थदंड न देने पर चार माह अतिरिक्त, धारा 25 आम्र्स एक्ट में एक वर्ष सश्रम कारावास, सौ रुपए अर्थदंड तथा दो माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास, धारा 27 में सात वर्ष का सश्रम कारावास, सौ रुपए अर्थदंड और दो माह अतिरिक्त कारावास की सजा मिली है।