इटारसी। भगवान गणेश की मिट्टी की बनी मूर्ति भक्तों की पहली पसंद बन रही है। पर्यावरण सुधार के कई संगठनों के प्रयास, प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियों पर एनजीटी के प्रतिबंध और उन प्रतिबंधों के पालन कराने में नगर पालिका की सख्ती का असर ही है कि बाजार में नब्बे फीसदी से अधिक मूर्तियां मिट्टी की ही बिकने आयी हैं।
जयस्तंभ चौक के आसपास लगे बाजार में मिट्टी के गणेश की मूर्तियां ही बिक रही हैं। हर पंडाल में मिट्टी की मूर्तियों हैं। नगर पालिका ने भी साफ कर दिया था कि प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियां बिलकुल नहीं बिकने दी जाएगी। नगर पालिका की टीम बाजार में पैनी निगाह रख रही है, पूरे प्रयास हैं कि बाजार में पीओपी की मूर्तियां नहीं बिकने दी जाए। इधर पर्यावरण हितैषी संस्थाओं द्वारा पिछले एक सप्ताह से मिट्टी की मूर्तियां बनाने का जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उसका भी खासा प्रभाव पड़ा है। अधिकतर बच्चों ने अपने घर गणेश मूर्तियों की स्थापना के लिए स्वयं ही मूर्तियां बना ली हैं।
पिछले एक दशक से पर्यावरण सुधार के लिए काम कर रही संस्था परिवर्तन ने पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरुनानक काम्पलेक्स के सामने पंडाल लगाकर गमला गणेश के नाम से इको फ्रेन्डली मूर्तियां लागत मूल्य पर विक्रय की। सुबह से शाम तक संस्था ने लगभग चार दर्जन मूर्तियां बेच दीं। इन मूर्तियों के भीतर टमाटर के बीच डाले गए हैं। संस्था का कहना है कि गमलों में रखी इन मूर्तियों को नौ दिन की सेवा के बाद गमलों में ही जल अर्पण करके विसर्जन किया जाएगा। इसके बाद इनके भीतर के बीच टमाटर के पौधे बनकर फल प्रदान करेंगे। इस तरह हमारे भगवान हमारे पास ही पौधे के रूप में रहेंगे और फल प्रदान करते रहेंगे।