5 अक्टूबर को बाबई से होगा शुभारंभ, 6 को जमानी में समापन
इटारसी। महात्मा गांधी की 150 वी जयंती वर्ष में होशंगाबाद जिले में गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के तत्वावधान में अन्न स्वराज यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा का शुभारंभ 5 अक्टूबर को राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली बाबई से प्रात: 9 बजे होगा और समापन 6 अक्टूबर को व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की जन्मस्थली जमानी में होगा।
गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के राष्ट्रीय सदस्य प्रोफेसर कश्मीर सिंह उप्पल ने आज यहां मीडिया को बताया कि पूरे देश में महात्मा गांधी की 150 वी जयंती वर्ष का आयोजन किया जा रहा है। यह 2 अक्टूबर से प्रारंभ हो चुका है और 2 अक्टूबर 2019 को इसका समापन होगा। इसी दौरान होशंगाबाद जिले में अन्न स्वराज यात्रा का आयोजन महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, गांधीवादियों तथा समाजसेवियों की जन्मभूमि पर यह यात्रा पहुंचेगी। यात्रा में मुख्य अतिथि गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के अध्यक्ष और ख्यात पत्रकार कुमार प्रशांत रहेंगे। वे यात्रा के विभिन्न पड़ाव पर सभाओं को संबोधित करेंगे। यात्रा के साथ सचिव गांधी भवन न्यास भोपाल के दयाराम नामदेव और अन्य वरिष्ठ लेखक, पत्रकार, समाजसेवी भी उपस्थित रहेंगे।
इटारसी में भी बापू का स्मरण होगा
गांधी शांति प्रतिष्ठान के जिला इकाई के हेमंत दुबे ने बताया कि 5 अक्टूबर को प्रात: 8 बजे गोठी धर्मशाला इटारसी से यात्रा प्रारंभ होकर गांधी मैदान स्थित गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद बाबई के लिए प्रस्थान करेंगे। गांधी जी ने 1933 में गोठी धर्मशाला इटारसी से होशंगाबाद जिले के विभिन्न ग्रामों का दौरा भी किया था। यह होशंगाबाद जिले में पहली इस तरह की यात्रा है, इसमें युवाओं, शैक्षणिक संस्थाओं और महिलाओं को शामिल करने के प्रयास हों, ऐसा दिल्ली में हुई बैठक में तय हुआ है। उन्होंने बताया कि यह पूर्ण रूप से गैर राजनैतिक यात्रा है।
इसलिए है अन्न स्वराज यात्रा
प्रोफेसर उप्पल ने बताया कि दरअसल महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ों का बहिष्कार के लिए आंदोलन चलाया था। आज विदेशी बीजों और कीटनाशक से मानव जीवन खतरे में पड़ रहा है। इस यात्रा के माध्यम से देसी बीजों को बढ़ावा देने का उद्देश्य है। मप्र में ग्राम रोहना इसका केन्द्र है, पूरे देश में इस तरह का आंदोलन चल रहा है जिसमें किसानों को देसी बीज की तरफ ले जाने का प्रयास है। किसानों को देसी बीज उपलब्ध कराके विदेशी बीजों के दुष्प्रभाव बताए जाएंगे। मुख्य वक्ता कुमार प्रशांत भी इस विषय पर अपने वक्तव्य देंगे। ग्रामीण जागरुकता इसका मुख्य उद्देश्य है।
विदेशी बीज हमारे अनुकूल नहीं
ग्राम दहेड़ी से आए सामाजिक कार्यकर्ता हरिदास मंजुल के सुपुत्र इंजीनियर संस्कार गौर ने बताया कि विदेशी बीज हमारी भारतीय परिस्थिति और संस्कृति के अनुकूल नहीं होते हैं। भारतीय जलवायु के जो संस्कार हैं, वे उनके अनुकूल भी नहीं होते हैं। इसलिए हमें अधिक से अधिक भारतीय देसी बीजों का उपयोग करना चाहिए। वे स्वयं जैविक खेती के पक्षधर हैं, देसी बीजों को प्रचलन में लाकर हम मानव जीवन को घातक बीमारियों के खतरे से बचा सकते हैं। इसमें लागत भी कम लगती है और उत्पादन भी बेहतर और स्वास्थ्यवर्धक होता है।
ऐसा रहेगा यात्रा कार्यक्रम
5 अक्टूबर को बाबई में राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली पर सुबह 9 बजे सभा, दोपहर 12 बजे ग्राम निटाया में बनवारीलाल चौधरी एवं कवि भवानीप्रसाद मिश्र के सुपुत्र अनुपम मिश्र की कर्मस्थली में सभा और शाम 3 बजे कवि भवानीप्रसाद मिश्र की जन्मस्थली टिगरिया में सभा होगी।
6 अक्टूबर को प्रात: 9 बजे सामाजिक कार्यकर्ता हरिदास मंजुल के गांव दहेड़ी में सभा, दोपहर 12 बजे वैज्ञानिक डॉ. आरएच रिछारिया के गांव नंदरवाड़ा में सभा और शाम 3 बजे व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई, रविशंकर दुबे के गांव जमानी में सभा का समापन। यहां सामाजिक कार्यकर्ता राजनारायण और सुनील को भी याद किया जाएगा।