होशंगाबाद।
विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन 1 अगस्त से 7 अगस्त तक किया जाएगा। विश्व स्तनपान सप्ताह के प्रति लोगो में जागरुकता उत्पन्न करने मंगलवार को जिला प्रशिक्षण केन्द्र जिला चिकित्सालय में मीडिया कार्यशाला हुई। संबोधित करते हुए अपर आयुक्त आशकृत तिवारी ने बताया कि शिशु को जन्म से 6 माह तक मां का दूध मिलना चाहिए। स्तनपान शिशु के लिये संपूर्ण आहार है मां का दूध अमृत है जो बच्चे को अनेक घातक बीमारियों से बचाता है। मां के दूध का महत्व बताते हुए श्री तिवारी ने कहा कि मां के दूध में एंटी बैक्टीरियम रहता है यह शिशु की अनेक बीमारियों से रक्षा करता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पीके चतुर्वेदी ने कहा कि महिलाएं स्तनपान के प्रति जागरुक हों। जब गर्भवती महिला का शिशु जन्म लेने वाला हो तभी महिला को यह समझाइश दी जाती है कि शिशु के जन्म के तुरंत बाद उसे अपना गाढ़ा एवं पीला दूध पिलाएं। उन्होंने मीडियाकर्मियों को आश्वस्त किया कि वे डब्बे वाले दूध को प्रतिबंधित करने एवं जब्त करने के लिये ड्रग इंस्पेक्टर को निर्देश देंगे।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनीता कामले ने बताया कि जब मां अपने शिशु को स्तनपान कराती है तो मां और शिशु में एक भावनात्मक संबंध विकसित हो जाता है। स्तनपान कराने से मां का रक्तस्त्राव कम हो जाता है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद पाठक ने कार्यशाला में सभी को अवगत कराया कि मां का दूध शिशु को 6 माह तक मिलना चाहिए। मां के दूध के अलावा कोई भी ऊपरी तरल या खाद्य पदार्थ यहां तक की पानी भी शिशु को न दिया जाए। शिशु को कभी भी बाहर का दूध या डब्बा बंद दूध नहीं पिलाना चाहिए। पोषण सलाहकार नेहा कलथरिया ने बताया कि विश्व में 5 वर्ष तक की आयु के 45 प्रतिशत बच्चों की मौत का कारण कुपोषण है और कुपोषण का मुख्य कारण है कि बचपन में शिशु को स्तनपान नहीं कराया था। उन्होंने कहा कि भारत में 5 में से 2 बच्चों को जन्म के 2 घण्टे पश्चात मां का दूध मिल पाता है शेष 3 बच्चे इससे वंचित रहते हैं। संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग शिव कुमार शर्मा ने बताया कि स्तनपान न कराने से शिशु कमजोर होता है जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय त्रिपाठी ने मीडिया कार्यशाला का संचालन किया।