विज्ञान लेखन में कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त श्रेष्ठ लेखन से बातचीत
इटारसी।करीब आधी सदी से बच्चों के लिए हिन्दी में लोकप्रिय विज्ञान लेखन कार्य कर रहे नयीदिल्ली के विज्ञान के श्रेष्ठ लेखक देवेन्द्र मेवाड़ी की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण है, वे साहित्य की कलम से विज्ञान लिखते हैं। यहां शिक्षक सम्मान समारोह में सरस्वती पुत्र सम्मान से नवाजे गए श्री मेवाड़ी वैज्ञानिक विषयों पर देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन कर रहे हैं और उनके दो हजार से अधिक लेख तथा 30 से अधिक मौलिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
यहां सम्मान मिलने पर उन्होंने कहा, एक अनजान शहर में उनको जो यह सम्मान मिला है, वास्तव में उनके लिए बड़ी दिली को सुकून देने वाली बात है। हालांकि वे कई बार सम्मानित हो चुके हैं। उनको 2017 में राष्ट्रपति के हाथों उप्र हिन्दी संस्थान लखनऊ का दो लाख रुपए का राष्ट्रीय विज्ञान भूषण सम्मान, 2006 में हिन्दी में स्तरीय विज्ञान लेखन के लिए केन्द्रीय हिन्दी संस्था आगरा में प्रतिष्ठित हिन्दी सेवी आत्माराम पुरस्कार में एक लाख रुपए, 2016 में हिन्दी अकादमी दिल्ली से एक लाख के ज्ञान प्रौद्योगिकी सम्मान, 2012 में विज्ञान परिषद प्रयाग शताब्दी सम्मान, वर्ष 2000 में विज्ञान लोकप्रिय करण के लिए भारत सरकार का राष्ट्रीय पुरस्कार तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार का भारतेंदु हरिश्चंद राष्ट्रीय बाल साहित्य पुरस्कार दो बार 1994 तथा 2002 में प्राप्त हो चुका है। इसके साथ ही 2009 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार का मेदिनी पुरस्कार, 2012 में भारतीय विज्ञान लेखक संघ का बीएस पद्मनाभन पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। बावजूद इसके उनको इटारसी में मिले सम्मान और सम्मान के साथ जो आत्मीयता मिली है, उससे वे अभिभूत हैं।
श्री मेवाड़ी ने बताया कि वे साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग, कादम्बिनी के अलावा अखबार अमर उजाला, दैनिक हिन्दुस्तान के अलावा बच्चों की पत्र पत्रिकाओं में भी लगातार लेखन कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि विज्ञान के विषय में लोगों को अधिक जानकारी का आज भी अभाव है, इसलिए समाज में अंधविश्वास फैला हुआ है। उनका लेखन लोगों को जागरुक करने के लिए है। इतना सब लिखने के बावजूद अभी ऐसी एक पुस्तक लिखना शेष है, जिसे लोग सदियों याद रखें। मेरी यादों का पहाड़ नामक पुस्तक में उन्होंने आधी सदी पूर्व कैसे गांव थे, कैसे पक्षी होते थे, कैसे घने जंगल थे, जीवन कैसा था, संस्कृति कैसी थी, आदि के विषय में लिखा है। नेशनल बुक आफ इंडिया ने इसे प्रकाशित किया था। मप्र साहित्य अकादमी ने विज्ञान की दुनिया नामक पुस्तक प्रकाशित की है। उनका कहना है कि वे साहित्य की कलम से विज्ञान लिखते हैं, जो पाठकों का काफी पसंद आता है।