बारिश में कई इलाके आ सकते हैं बाढ़ की चपेट में
इटारसी। जून माह प्रारंभ हो गया है। हर वर्ष बारिश के पूर्व नाले-नालियों की सफाई का काम जून के पहले ही खत्म हो जाया करता है, लेकिन इस वर्ष केवल शहर की नालियों की सफाई करके नगर पालिका ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। शहर के आसपास से गुजरने वाले पहाड़ी नालों की न तो सफाई हुई है और ना ही गहरीकरण। अब तक नगर पालिका ने इस ओर कोई पहल भी नहीं की है। ऐसे में शहर में बाढ़ आने का खतरा बन रहा है।
शहर के साइड से दो पहाड़ी नाले गुजरते हैं। एक वक्त ये नदियां कहलाते थे। समय के साथ इनमें गाद जमा होने और लगातार इनकी अनदेखी और आसपास अतिक्रमण के बाद अब के नाले का रूप ले चुके हैं। अतिक्रमण होने के कारण इनमें गंदगी भी भरपूर होने लगी और इनका साफ पानी काला और अनुपयोगी हो गया। कहीं-कहीं तो ये छूने के लायक भी नहीं बचा है।
मई में हो जाती थी सफाई
हर वर्ष बरसात में नगर पालिका शहर के बीच छोटी नालियों, बड़े नालों की सफाई के साथ ही मेहरागांव, सीपीई के पास से सोनासांवरी के रेलवे पुल, न्यास बायपास के पास तक नालों की सफाई करती थी जिससे पानी सरपट निकल जाता था। इस वर्ष नगर पालिका ने मई माह में यह काम नहीं किया है। हालांकि नपा अधिकारी बुधवार से इन नालों में जेसीबी से सफाई का काम प्रारंभ करने का कह रहे हैं। देखना है कि बचे हुए कम समय में वे नालों की कितनी सफाई करा पाते हैं, क्योंकि जून माह में प्री मानसून की बारिश फिर मानसून सक्रिय हो जाने में एक पखवाड़े का वक्त ही बचा है।
बाढ़ का कारण बनते हैं ये नाले
शहर में 2007 और 2014 में कई इलाके मेहरागांव और पुरानी इटारसी के साइड से गुजरने वाली पहाड़ी नदी के कारण बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। पुरानी इटारसी का बड़ा हिस्सा और नाला मोहल्ला का नदी मोहल्ला, मेहरागांव, बूढ़ी माता मंदिर के साइड वाला आबादी की हिस्सा बाढ़ की चपेट में आया था और हालात इतने खराब हो गये थे कि कई लोगों के यहां खाने को राशन भी नहीं बचा था। यहां के लोगों को शहर में बनाए गये राहत शिविरों में ठहराया गया और उनके लिए भोजन और दवाओं के इंतजाम किये गये थे। यदि पूर्व से ही व्यवस्था कर ली जाए तो इन हालातों से बचा जा सकता है।
समय कम और काम अधिक है
नगर पालिका अधिकारी का कहना है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण काम में देरी हुई है। लेकिन, नगर पालिका ने अपनी ही जेसीबी से शहर के भीतर के बड़े नालों की सफाई भी करायी है। यदि हर रोज दो घंटे दोपहर में इन पहाड़ी नदियों में भी काम कराया होता तो शायद अब तक आधा काम हो चुका होता। दरअसल, अब समय काफी कम बचा है और काम बहुत अधिक है। पुरानी इटारसी से लेकर रेलवे के सांकलिया नाला तक ही कम से कम पंद्रह दिन का वक्त लग जाएगा। इसके बाद मेहरागांव की नदी और ठंडी पुलिया वाले बड़े नाले की सफाई भी कराना जरूरी है।
इनका कहना है…!
हां, बड़े नालों की सफाई होना जरूरी है। आचार संहिता के कारण टेंडर प्रक्रिया में देरी हो गयी है। हमने स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दे दिये हैं कि बुधवार से ही जेसीबी से इन नालों की सफाई का काम प्रारंभ किया जाए। हमारा प्रयास रहेगा कि जल्द से जल्द नालों की सफाई करा ली जाए।
हरिओम वर्मा, सीएमओ