इटारसी। आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर के सदस्य अब सतपुड़ा की मनोरम वादियों में स्थित रमणीक स्थलों की खोज करेंगे और अपने पूर्वजों के जमाने के इन पुरा संपदाओं को सहेजने का काम करेंगे। इसके लिए समिति के सदस्य जल्द ही कार्ययोजना तैयार करेंगे।
आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर की साप्ताहिक बैठक के बाद रविवार को समिति के सदस्यों ने तिलक सिंदूर से करीब दो किलोमीटर दूर सतपुड़ा के घने जंगल में नागिनखो नामक स्थल पर पहुंचकर यहां एक प्राकृतिक झरने का पता लगाया। बारिश के दौरान यह झरना करीब तीन सौ फुट ऊपर से गिरता है और अत्यंत ही मनोरम दृश्य बनाता है।
इस स्थल पर समिति के मीडिया प्रभारी विनोद बारीवा के साथ अनेक सदस्य भी पहुंचे थे। समिति के सचिव जितेन्द्र इवने ने नागिनखोह झरने और इस स्थल के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यहां एक से बढ़कर एक दर्शनीय स्थल हैं, उनकी भी खोज की जाएगी। आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर के तत्वावधान में भगवान भोलेनाथ की आरती के बाद सप्ताहिक बैठक हुई। यह तय किया गया कि 22 सितंबर को होने वाली बैठक में समाज संगठन के सभी सदस्य पहुंचेंगे। तिलक सिंदूर में समिति सभी संगठनों की भोजन की व्यवस्था करेगी। बैठक के बाद समिति की पूरी टीम तिलक सिंदूर से 2 किलोमीटर मीटर दूर सतपुड़ा पुरातात्विक घने जंगलों में नागनखो झरना देखने पहुंचे।
समिति के सचिव के अनुसार यहां 300 फीट ऊपर से पानी का गिर रहा है और यह पहाड़ी नदी तिलक सिंदूर की हंस गंगा से मिली हुई है। यहां के कई पुराने लोगों ने बताया की नीलगढ़ की पहाड़ी भी इसी से जुड़ी हुई है, जिसमें पुराने जमाने की गुफाएं, कंदराएं एवं पत्थरों पर बनी मूर्तियां स्थापित हैं। गुफाएं इतनी बड़ी-बड़ी हैं कि एक सौ से दो सौ लोग बैठकर खाना खा सकते हैं। अगले रविवार को समिति नीलगढ़ किले तक भ्रमण करेगी। समिति संरक्षक सुरेंद्र धुर्वे के नेतृत्व में समिति के सदस्यों ने रविवार को पहाड़ी एवं जंगलों में बने किले जहां-जहां भी विस्थापित हैं, वहां पर खोज करने का निर्णय लिया है। आज समिति के सचिव जितेंद्र कुमार इवने, प्रवक्ता विनोद बारीवा, अवधराम कुमरे, राजकुमार, जितेंद्र भलावी, बलदेव तेकाम, महेन्द्र उईके, गज्जू सरेआम, पवन सहित अनेक सदस्यों ने झरना स्थल पर पहुंचकर इस रमणीक स्थल का दर्शन किया।