इटारसी। मानव जीवन में वैवाहिक संबंध अनिवार्य हैं। इसके बाद ही सांसारिक जीवन का विस्तार होता है, इसलिये यह संबंध आपसी सहमति एवं एक दूसरे के प्रति समर्पित भाव से समाज की परंपराओं के अनुसार होना चाहिए, तभी वह विवाह जीवन में सफल होते हैं। उक्त उद्गार भागवत कथा वाचक जगदीश पांडेय ने व्यक्त किये।
ग्राम सोनासांवरी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष श्रीकृष्ण-रुकमणी विवाह कावर्णन करते हुए कहा कि जीवन में विवाह सामाजिक संबंधों के आधार पर हो या फिर प्रेम विवाह हो दोनों रीतियों से विवाह करने से पूर्व वर-वधु के मन का मिलान आपसी सहमति एवं एक दूसरे के प्रति समर्पण भाव होना आवश्यक है। तभी वैवाहिक जीवन मानव के अंत समय तक सफलता पूर्वक चलते हंै, ऐसे ही सफल वैवाहिक जीवन का संदेश श्रीकृष्ण-रुकमणि विवाह की लीला में परमात्मा ने हम सब को दिया है।
उन्होंने श्रीकृष्ण-बलराम के मथुरा गमन एवं कंस वध की कथा और श्रीराधा कृष्ण के महारास प्रसंग को प्रस्तुत किया। महारास प्रसंग के अवसर पर संगीतकार पं. हरिनारायण दुबे, भजनकार पं. देवेन्द्र दुबे, अभय पाण्डेय एवं राकेश दुबे के द्वारा प्रस्तुत किये गये उनके भक्तिगीतों पर पाण्डाल में उपस्थित श्रोतागण भक्ति नृत्य में झूम उठे। कथा के अंतिम पहर में भगवान श्रीकृष्ण की भव्य बारात निकाली और श्री कृष्ण एवं रानी रुकमणी का विवाह हुआ। मुख्य यजमान मिश्रीलाल पटेल एवं अन्य श्रोताओं ने भगवान श्रीकृष्ण एवं रानी रुकमणी की पांव पखराई की।