हमारे साथियों ने भी दिया है बलिदान : बाजपेयी

आर्डनेंस फैक्ट्री कर्मचारियों की हड़ताल का तीसरा दिन
इटारसी। आर्डनेंस फैक्ट्री कर्मचारियों के संगठन और सरकार के बीच वार्ता में फिलहाल नतीजा नहीं निकला है और एक माह की हड़ताल जारी है। गुरुवार को भी कर्मचारी रोज की तरह सुबह फैक्ट्री के गेट पर पहुंचे और कर्मचारियों से हड़ताल में शामिल होने का निवेदन किया।
हमने भी देश के लिए बलिदान दिया है। हमारे साथियों ने सेना के लिए आयुध बनाते हुए जान दी हैं। हमारे बनाए उत्पाद से सेना ने युद्ध लड़े और जीते हैं। सरकार जो आर्डनेंस फैक्ट्री के निगमीकरण की राह पर चल रही है, वह देश के लिए घातक कदम होगा। यह विचार हैं, आर्डनेंस फैक्ट्री के निगमीकरण के खिलाफ एक माह की हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के। हड़ताल के तीसरे दिन पूरे हिन्दुस्तान की फैक्ट्रियों में महज 7 फीसदी कर्मचारियों के ही ड्यूटी पर रहने के समाचार हैं। इनमें ग्रुप ए के अधिकारी और अति आवश्यक सेवाओं के कर्मचारी शामिल हैं। हड़ताल के तीसरे दिन भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ से संबद्ध कर्मचारी संघ के नेता अमित बाजपेयी ने कहा कि देश में 80 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। ग्रुप ए को छोड़ दिया जाए तो भी 77 हजार से अधिक कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। हम यह लड़ाई अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। हमारी सरकार से अपने लिए कोई मांग नहीं है। हमारे कई साथियों ने बलिदान दिया है। निगमीकरण नहीं करने की सरकार से मांग है। सरकार अन्य विभागों के निगमीकरण से इसकी तुलना नहीं कर सकती। अन्य विभागों से आर्डनेंस फैक्ट्री अलग है। यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि सरकार 218 वर्षों का इतिहास न बदले। उन्होंने कहा कि सेना के कामकाज पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा। सरकार को इस पर विचार करके अपना फैसला वापस लेना चाहिए।

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