इटारसी। तृतीय अपर सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी श्रीमती सुशीला वर्मा की अदालत ने फर्जी तरीके से 8 परीक्षार्थियों को आयुध निर्माण फैक्ट्री इटारसी में श्रमिक भर्ती परीक्षा योजना के तहत संलिप्त कराए जाने हेतु पांच हजार देकर असल विद्यार्थियों के स्थान पर फर्जी परीक्षार्थियों को कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर परीक्षा देने हेतु उपस्थित कर दुष्प्रेरित करने का दोषी पाते हुए भारतीय दंड विधान की धारा 471 के तहत 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा एवं 1000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किए जाने का दंड आदेश पारित किया है।
अर्थदंड अदा नहीं करने पर आरोपी रविंद्र प्रसाद को 3 माह का सश्रम कारावास अलग से भुगतना होगा। इस प्रकरण के पैरवीकर्ता अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला ने बताया कि अभियोजन मामले के अनुसार फरियादी अमोल सिंह ने थाना पथरोटा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह स्वयं आयुध निर्माणी फैक्ट्री इटारसी में कनिष्ठ कार्य प्रबंधक सुरक्षा के पद पर पदस्थ है। 6 अक्टूबर 2013 को आयुध निर्माण में श्रमिक पद के लिए लिखित परीक्षा फैक्ट्री प्रबंधक द्वारा आयुध निर्माणी के केंद्र न्यू केजी स्कूल अंकुर विद्या मंदिर में आयोजित की थी। स्टाफ के साथ चेकिंग के दौरान ड्यूटी पर तैनात दरबार महाला ने परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्र चेक किए। चेकिंग के दौरान बलराम कुमार राजभर का प्रवेश पत्र चेक किया। प्रवेश पत्र को जो व्यक्ति साथ लेकर आया था उसका नाम पूछा तो उसने नाम पता गलत बताया तथा प्रवेश पत्र में लगा हुआ फोटो भी परीक्षार्थी से मिलान नहीं हो रहा था। तब अमोल सिंह ने बारीकी से पूछताछ की तो परीक्षार्थी बलराम कुमार राजभर के स्थान पर आने वाले ने अपना नाम दिलीप कुमार पिता नरेश पासवान उम्र 23 वर्ष निवासी पोस्ट कुंडली थाना पंडारक जिला पटना बिहार बताया। उसे एवं उसके साथी पवन कुमार, गोपी कुमार सिंह, शंभू कुमार सिंह, अमित कुमार, कृष्ण गोपाल, सौरव कुमार को रविंद्र प्रसाद निवासी बिहार परीक्षा में सम्मिलित कराने लाया था। फरियादी ने दिलीप कुमार पिता नरेश पासवान को बलराम कुमार के स्थान पर परीक्षा देने जाते समय पकड़ा था। दिलीप तथा अन्य साथी जो दूसरे व्यक्तियों के स्थान पर धोखाधड़ी कर परीक्षा में सम्मिलित होने आए थे। उनकी सभी बातें वरिष्ठ अधिकारियों को बताई और थाना पथरोटा में रिपोर्ट दर्ज कराने निवेदन किया था। थाना पथरोटा में सभी आरोपियों के विरुद्ध अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया था। पूछताछ करने पर सभी परीक्षार्थियों ने बताया था कि आरोपी रविंद्र प्रसाद ने उन्हें बिहार से पांच हजार में परीक्षा दिलाने साथ लेकर आया था। वे होटल राज पैलेस में रुके थे। विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र इटारसी न्यायालय में प्रस्तुत किया था जहां से 6 मई 14 को यह मामला तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश इटारसी के पास आया था। विचारण के दौरान आरोपी दिलीप पासवान, पवन कुमार, गोपी कुमार, अमित कुमार, शंभू कुमार सिंह, कृष्ण गोपाल तथा सौरभ कुमार फरार हो गए थे। दो आरोपी रविंद्र प्रसाद पिता भुवनेश्वर प्रसाद आयु 42 वर्ष निवासी ग्राम बरदहिया थाना मथुरा मथुरा जिला सारण बिहार तथा सचिन कमल कर आयु 40 वर्ष पिता काशीनाथ कमल कर निवासी मुरलीधर मंदिर के पास गांधी वार्ड बल्लारपुर जिला चंद्रपुर महाराष्ट्र के विरोध में विचारण किया। विचारण के दौरान आरोपी सचिन कमल कर को सभी आरोपों से साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त किया है। मूल आरोपी रविंद्र प्रसाद बिहारी को धारा 419 के तहत दोषी पाते हुए 3 वर्ष के सश्रम कारावास 500 के जुर्माने से दंडित किया है। इसके अलावा रविंद्र को धारा 420 भारतीय दंड विधान के तहत 7 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 700 रुपए के अर्थदंड, धारा 468 भारतीय दंड विधान के तहत 7 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 700 रुपए अर्थदंड, धारा 471 भारतीय दंड विधान के तहत 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 अर्थदंड से दंडित किया। सभी धाराओं में अर्थदंड अदा नहीं किए जाने पर क्रमश: 11 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास और भुगतना होगा। आरोपी रविंद्र प्रसाद की न्यायिक निरोध की अवधि सजा में समायोजित की जाएगी। आरोपी रविंद्र प्रसाद निर्णय के समय न्यायालय में उपस्थित था जिसे सजा वारंट से केंद्रीय जेल होशंगाबाद भेज दिया है। इस प्रकरण में मध्यप्रदेश शासन की ओर से संपूर्ण पैरवी अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला एवं भूरेसिंह भदोरिया ने की गई है। प्रकरण में सभी फरार अभियुक्तों के विरुद्ध कोई आदेश नहीं दिया गया है। उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर उनका विचारण नए सिरे से पुन: किया जाएगा।