इटारसी। दिवाली यानि की दीपावली कार्तिक मास (Diwali Kartik month) की अमावस्या को मनाई जाती है। यह हिंदू धर्म के बड़े व प्रमुख त्योहारों में से एक है। दिवाली समारोह 5 दिनों तक चलता है। जिसकी शुरूआत कल यानि धनतेरस 2 नबंवर से हो रही है। उत्तर भारत और दक्षिण भारत में यह पांच दिवसीय दिवाली का त्योहार हर दिन अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। यह त्योहार धनतेरस के दिन से शुरू होता है और भाई दूज तक चलता है। इस बार दिवाली उत्सव 2 नवंबर, मंगलवार से शुरू होगा और यह 6 नवंबर, शनिवार तक चलेगा। वहीं दिवाली 4 नवंबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी।
यहां जानिए हर दिन का अपना महत्व
पहला दिन – धनतेरस
धनतेरस के दिन से दिवाली उत्सव की शुरुआत होती है। इस दिन सोने-चांदी और बर्तन आदि की खरीदारी की जाती है। मान्यता है कि इस दिन नया सामान खरीदना शुभ होता है।
दूसरा दिन – छोटी दिवाली
दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है। इसे नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाने लगते हैंं।
तीसरा दिन – दिवाली अमावस्या
उत्सव का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा इस दिन होने वाला अनुष्ठान है। इस दिन मुख्य दिवाली का त्योहार होता है और मिट्टी के तेल के दीपक या दीये जलाए जाते हैं। इसके अलावा इस दिन देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन अपने अच्छे कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे को “हैप्पी दिवाली” कहते हैं।
चौथा दिन – गोवर्धन पूजा
उत्सव के चौथे दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा होती है। इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनका पूजन कर उन्हें पकवानों का भोग लगाया जाता है।
पांचवा दिन – भाई दूज
भाई दूज दिवाली उत्सव का अंतिम दिन होता हैं। यह दिन भाइयों और बहनों को समर्पित है। बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाती है और भाई बहनों को उपहार देते हैं।