होशंगाबाद। पचमढ़ी में जल्द ही सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के सहयोग से सतपुड़ा रिसर्च सेंटर स्थापित किया जाएगा। इस सेंटर में बायो डायवरसिटी से संबंधित रिसर्च करने के लिए लैब, लेबोटरी, लायब्रोरी, कॉन्फ्रेंस हॉल, कम्प्यूटर रूम, हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सभी व्यक्ति जो जैव विविधता में रूचि रखते हैं एवं विज्ञान के विद्यार्थियों को रिसर्च सेंटर में रिसर्च के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
कमिश्नर उमाकांत उमराव ने रिसर्च सेंटर स्थापित करने की तैयारी संबंधी बैठक में बताया कि इस रिसर्च सेंटर में विद्यार्थी एवं अन्य लोग डॉक्यूमेंटेसन एकत्र कर कार्य कर सकेंगे। रिसर्च की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। सर्व प्रथम रिसर्च सेंटर से संबंधित वेबसाइट बनाई जाएगी जहां लोग रिसर्च करने के लिए पंजीयन करायेंगे एवं पोर्टल के माध्यम से जैव विविधता में रूचि रखने वाले व्यक्तियों को लिंक भेजे जाएंगे। साथ ही इस संबंध में डॉक्यूमेंटेसन कलेक्ट करने के लिए विश्व विद्यालयों को पत्र लिखे जाएंगे और उनसे इस संबंध में की गई रिसर्च के पेपर मंगाए जाएंगे, रिसर्च से संबंधित ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित किये जाएंगे। लैब एवं लाइब्रोरी का ढांचा कैसे बनाना है, इसकी जानकारी ली जाएगी। श्री उमराव ने प्रोफेसर्स से कहा कि जो रिसर्च की जा चुकी है उन पेपरों को रिसर्च सेंटर में भेजा जाए। उन्होंने कहा कि जीव विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में किए गए रिसर्च प्रस्ताव को प्राप्त करने के लिए विश्व विद्यालयों एवं संबंधित संस्थाओं को पत्र लिखा जाएगा।
कमिश्नर ने कहा कि पचमढी में 1922 से लेकर अब तक बायो डायवरसिटी पर अनेक रिसर्च की जा चुकी है किंतु अब तक उस तरह का रिसर्च नहीं हुआ है जो हमें चाहिए। पचमढी में 8वीं एवं 9वीं शताब्दी के बौद्ध संस्कृति के अवशेष मिलते हैं उस समय की रॉक पेंटिंग भी यहां पर है। कोरकू जनजाति के शुरूआती दौर के निशान भी यहां मिलते रहे हैं किंतु डेटा कहीं भी उपलब्ध नहीं है। इन सब विषयों पर रिसर्च करने के लिए लोगों को आमंत्रित किया जाएगा। वर्तमान में लोग टाईगर एवं अन्य पहाडिय़ां देखने के लिए पचमढ़ी एवं चूरना आते हैं। हमारा उद्देश्य है कि पर्यटक इन स्थानों पर इनकी अन्य विशेषताओं से आकर्षित होकर भी आएं। विद्यार्थी भी अकादमी भ्रमण के हिसाब से आयें। उनके लिए यहां भरपूर संभावना बनाई जाएगी। म्यूजियम, डिजिटल लाइब्रोरी ऐसी बनाई जाएगी कि लोग अपने विचार शेयर कर सकें एवं लाइव कलाकृतियों एवं संस्कृति विविधता तथा ऐतिहासिक अवशेषों का अवलोकन कर सके। डॉ. हेमेंद्र सिंह परमार ने कहा कि एनसीपीएस बैंगलोर से रिसर्च डॉक्यूमेंट मंगाए जा सकते हैं। डीबीटी भी बजट उपलब्ध कराती है। बायो टायमेट्रिक संस्था भी बजट उपलब्ध कराती है। बैठक में डॉ. अनिल प्रकाश, डॉ. अभिलाषा भावसार एवं संचालक सतपुड़ा टाईगर रिजर्व एल कृष्णमूर्ति ने भी अपने विचार साझा किए।